पांच राज्यों में बीजेपी को मिली हार अब उसे भारी पड़ने लगी है। बिहार में रामविलास पासवान ने जिस तरह से दबाव बनाकर अपनी सीटों में इजाफा करवाया अब यूपी में अपना दल भी बीजेपी के साथ यही तरीका अपना रही है।

ख़बर है कि एनडीए की सहयोगी और अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल स्वास्थ्य विभाग में केंद्र में मंत्री रहते हुए उन्हें राज्य में केंद्र के सहयोग से होने वाले स्वास्थ्य विभाग के कार्यक्रम में भी उन्हें नहीं बुलाया जाता है।

जिसे देखते हुए अनुप्रिया पटेल और उनके पति आशीष ने यूपी में किसी भी सरकारी कार्यक्रम में नहीं जाने का फैसला किया। उनका कहना है कि जबतक आलाकमान इस मुद्दे को हल नहीं कर लेता तबतक हम किसी सरकारी कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेंगें।

अपना दल से पहले यही शिकायत राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा को हुई जिसे लेकर उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दिया और बाद में एनडीए छोड़ महागठबंधन में शामिल हो गए, उनसे पहले आंध्र प्रदेश की टीडीपी एनडीए का साथ छोड़ते हुए महागठबंधन के साथ खड़े दिखाई दे रही है।

क्या कहना है अपना दल का?

मोदी सरकार में मंत्री की भूमिका निभा रही अनुप्रिया पटेल योगी सरकार से नाराज है। उनका कहना है कि यूपी में 8 मेडिकल कॉलेज का प्रस्ताव है और इसमें 60 फीसदी पैसा केंद्र से आता है।बावजूद इसके अनुप्रिया पटेल को कार्यक्रमों में नहीं बुलाया जाता है। यही वजह थी कि अनुप्रिया पटेल ने अपने यूपी के सारे कार्यक्रम रद्द करते हुए दिल्ली लौट आई।

अपना दल (एस) के राष्ट्रीय अध्यक्ष आशीष पटेल ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि हम कैसे सहयोगी, जिसका सम्मान नहीं। अपना दल के कोटे से केन्द्र में मंत्री बनीं अनुप्रिया पटेल को उत्तर प्रदेश में वह सम्मान नहीं मिलता जिसकी वह हकदार हैं। यहां तक कि उन्हें मेडिकल कॉलेजों के उद्घाटन कार्यक्रमों में भी नहीं बुलाया जाता है.

उन्होंने कहा भाजपा के विधायक, सांसद और यहां तक कि मंत्री भी प्रदेश ‘शासन-सरकार’ से नाराज हैं और वे केन्द्रीय नेतृत्व से मिलकर अपनी नाराजगी जाहिर करना चाहते हैं।

उन्होंने कहा कि हम सम्मान चाहते हैं और सम्मानजनक सीट चाहते हैं। हालांकि हमें उम्मीद है कि भाजपा आलाकमान इस मामले में गंभीरता से विचार करेगा।

बता दें कि यूपी में अपना दल के 9 विधायक और एक एमएलसी हैं, अपना दल का 9 फीसदी वोट बैंक है। ये देखना दिलचस्प होगा कि यूपी में मायावती-अखिलेश से परेशान बीजेपी अपना दल के साथ उपेन्द्र कुशवाहा जैसा रवैया अपनाती या फिर रामविलास पासवान जैसा सम्मान देती है।

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