तान्या यादव

पत्रकार प्रशांत कनौजिया को बीते 18 अगस्त को जब गिरफ्तार किया गया तो उन्हें भी इस बात का अंदाजा नहीं रहा होगा कि एक मामूली से आरोप में उन्हें जेल में डाल दिया जाएगा और बेल देने से भी इनकार कर दिया जाएगा।

उनकी गिरफ्तारी को एक महीने से ज्यादा वक्त बीत चुका है तो सवाल उठ रहा है कि ऐसे कौन से अपराध में उन्हें गिरफ्तार किया गया है कि बेल नहीं मिल रही है?

साथ ही ये भी सवाल उठ रहा है कि आमतौर पर सुस्त रहने वाली पुलिस इस गिरफ्तारी के लिए इतनी मुस्तैद क्यों दिखा रही थी?

इन्हीं सवालों के साथ सोशल मीडिया पर तमाम सामाजिक कार्यकर्ता लिख और बोल रहे हैं। #ReleasePrashantKanojia का हैश टैग चला रहे हैं।

न्यायालय में लंबित मामले पर सोशल मीडिया एक्टिविज्म की क्या जरूरत पड़ गई? इस सवाल का जवाब देते हुए प्रशांत कनौजिया की पत्नी जागीशा अरोड़ा कहती हैं- ‘न्याय तो न्यायालय से ही मिलेगा मगर कब मिलेगा? जमानत तो अदालत ही देगी मगर कब देगी ? इन्हीं सवालों को मजबूती देने के लिए हमें सोशल मीडिया पर लिखना-बोलना पड़ रहा है।’

वो आगे कहती हैं ‘ प्रशांत को एक ऐसे अपराध की सजा दी जा रही है जो उसने किया ही नहीं है। हमारे पास सबूत है कि शेयर की गई फोटोशॉप तस्वीर उसने नहीं बनाई थी। तमाम वेरीफाइड अकाउंट पर डाली गई उसी पोस्ट को सच मानकर ट्वीट करने वाले प्रशांत को जैसे ही पता चला ये फेक है, उन्होंने डिलीट कर दिया। ये कौन सा बड़ा अपराध हो गया! इसे तो भूल कहते हैं इसे चूक कहते हैं। सुना है अभी मोदी सरकार के मंत्रालय ने भी इसी तरह से बिना वेरीफाई किए किसी पोस्ट को ट्वीट कर दिया था, क्या मोदी के मंत्री को जेल हुई है?

एक ही गलती के लिए दो लोगों से दो अलग तरह का बर्ताव जो हो रहा है, ये गैर संवैधानिक है।’

दरअसल जगीशा जिस वाकये का जिक्र कर रही हैं, वो कुछ इस तरह है- दीपिका पादुकोण का चरित्र हनन करने वाली एक तस्वीर को सोनू सूद के नाम से बने एक फेक अकाउंट पर डाला गया था, उसे मोदी सरकार के श्रम मंत्रालय ने शेयर किया। सोनू सूद ने वीडियो जारी करते हुए इसकी आलोचना भी की लेकिन जो खुद ही सरकार हैं वो किसी और की कहां सुनते हैं।

गिरफ्तारी की घटना के बारे में याद करते हुए जगीशा अरोड़ा बताती हैं- ’18 अगस्त को मेरा जन्मदिन होता है। हम दिल्ली स्थित अपने फ्लैट में खुशियां मना रहे थे तभी दरवाजे पर कुछ पुलिस वाले आते हैं, पूछताछ करते हैं और फिर प्रशांत को लेकर जाते हैं।

ऐसा पहले भी हो चुका है जून 2019 में प्रशांत को गिरफ्तार किया गया था योगी आदित्यनाथ की छवि को नुकसान पहुंचाने के नाम पर। सुप्रीम कोर्ट से बेल मिली थी और योगी सरकार को फटकार।

न्याय इस बार भी मिलेगा मगर वही सवाल दोहराता है कि कब मिलेगा?’

गौरतलब है कि प्रशांत कनौजिया का मामला इस बार इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ में चल रहा है। उन्हें जमानत मिलेगी या नहीं, वहीं से तय होगा। पिछली सुनवाई में प्रशांत कनौजिया को जमानत देने से इनकार करते हुए जज ने तमाम सख्त टिप्पणियां की हैं।

जगीशा कहती हैं- ‘सोशल मीडिया पर तमाम लोग दंगाई भाषा बोलते रहते हैं, सांप्रदायिक लहजे में बात करते हुए हिंदू-मुसलमान को आपस में लड़ाते रहते हैं, उनपर तो एक्शन नहीं लिया जाता है! यहां तक कि सुशील तिवारी नाम के जिस व्यक्ति की मानहानि होने का दावा किया जा रहा है, उसकी सोशल मीडिया प्रोफाइल आप देख सकते हैं कि किस तरह से नफरत भरी पोस्ट होती हैं। बावजूद इसके, ये लोग न सिर्फ पुलिस से बच जाते हैं बल्कि आश्वस्त रहते हैं कि विवाद की स्थिति में सरकार और पुलिस प्रशासन इनके साथ ही खड़े रहेंगे।’

आखिर में उदास होकर भी उम्मीद दिखाती हुई जगीशा कहती हैं- ‘न्याय व्यवस्था में भरोसा रखना ही एकमात्र विकल्प होता है। हमें भी भरोसा है। इसलिए शासन प्रशासन और न्यायपालिका से यह अपील है कि हमें न्याय दीजिए। प्रशांत को रिहा कीजिए।’

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here