कृषि कानूनों के विरोध में जारी किसानों के आंदोलन का असर बीजेपी के प्रदर्शन पर पड़ा है। इस आंदोलन के चलते बीजेपी को पंजाब निकाय चुनाव में भारी नुकसान उठाना पड़ा है। यहां बीजेपी का सूपड़ा साफ़ हो गया है। जबकि कांग्रेस को बड़ी सफलता मिली है। कांग्रेस ने सातों नगर निगमों में जीत का परचम लहरा दिया है।
निकाय चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने मोगा, होशियारपुर, कपूरथला, अबोहर, पठानकोट, बटाला और बठिंडा नगर निगम जीत ली है। बठिंडा नगर निगम कांग्रेस के खाते में 53 साल बाद आई है। इससे पहले बठिंडा नगर निगम में शिरोमणि अकाली दल का कब्जा था।
चुनाव में किसान आंदोलन का असर इतना व्यापक रहा कि बीजेपी दूसरे नंबर पर भी नहीं टिक सकी। यहां दूसरे नंबर पर आम आदमी पार्टी (आप) ने बाज़ी मारी।

आप ने पहली बार दिल्ली से बाहर किसी निकाय चुनाव में किस्मत आज़माई और उसे कुछ हद तक सफलता भी मिली। चुनाव में आप के प्रदर्शन को देखकर लगता है कि पंजाब में पार्टी को और मजबूत हो सकती है।

बता दें कि पंजाब के आठ निगमों के 109 नगर परिषदों और नगर पंचायतों के लिए रविवार को वोटिंग हुई थी। इसमें 71.30 प्रतिशत लोगों ने वोटिंग की थी। पिछली बार 2015 में जब 122 नगर परिषदों और नगर पंचायतों के चुनाव हुए थे तब 78.60 प्रतिशत मतदान हुए थे। यानी, 2015 के मुकाबले 2021 में 7.21 प्रतिशत कम वोटिंग हुई।

2015 के निकाय चुनावों में शिरोमणि अकाली दल सबसे बड़ी पार्टी थी। उस वक्त अकाली दल का बीजेपी के साथ गठबंधन भी था और तब दोनों दलों ने मिलकर 27 नगर परिषदों और नगर पंचायतों में संयुक्त रूप से अध्यक्ष बनाए थे। वहीं, अकेले बीजेपी की बात करें तो उसके आठ नगर परिषदों में अध्यक्ष बने थे। वहीं कांग्रेस को पांच में अपना अध्यक्ष बनाने में कामयाबी मिली थी।

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