जब देश के आम चुनाव में चंद महीनों का समय बचा हो, ऐसे वक्त में राज्य सरकारों के बजट पर भी चुनावी रंग दिखना लाजमी है। 7 फरवरी को उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अपने कार्यकाल का तीसरा बजट पेश किया। वित्तमंत्री राजेश अग्रवाल द्वारा विधानसभा में पेश किया गया ये बजट लगभग 4.79 लाख करोड़ रुपये का है।

बताया जा रहा है कि ये बजट चालू वित्त-वर्ष की तुलना में 12 फीसदी अधिक है। इस बजट से 21 हजार 212 करोड़ 95 लाख रुपए नई योजनाओं पर खर्च किया जाएगा। हालांकि पहले से चल रही योजनाओं पर कितना खर्च हुआ? उन योजनाओं का क्या हुआ इसके हिसाब-किताब पर वित्तमंत्री ने ज्यादा प्रकाश नहीं डाला।

मीडिया रिपोर्ट्स में की माने तो योगी सरकार ने अपने बजट में गाय, धर्मस्थल और मदरसों पर ज्यादा ध्यान दिया है। बजट में गोशाला के लिए 450 करोड़, मदरसों को आधुनिकीकरण के लिए दिए 459 करोड़ रुपए और अयोध्या, काशी, मथुरा में विभिन्न विकास परियोजनाओं के लिये 462 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है।

राज्य में नई नौकरियां कैसे पैदा होंगी? बेरोजगारी कैसे कम होगी? इसका जवाब बजट में ज्यादा नहीं मिलता। और शायद यही वजह है कि बसपा सुप्रीमो मायावती ने योगी सरकार के इस बजट को चुनावी बजट करार दिया है।

सपा के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी मायावती ने योगी सरकार के बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया है…

‘चुनावी वर्ष में बीजेपी सरकारों का बजट चाहे कितना भी लुभावना क्यों ना हो, वास्तव में सरकार का साल भर का जनहित व जनकल्याण एवं अपराध नियंत्रण व कानून -व्यवस्था का काम ही आमजनता के लिये महत्त्वपूर्ण होता है’

‘और इन मामलों में केन्द्र व खासकर उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार बुरी तरह से विफल साबित हुई है जो जगजाहिर है। केवल संगम स्नान से सरकारों के पाप नहीं धुल सकते। जनता बहुत होशियार है और सब जानती-समझती है।’

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