Samar Raj
ओपिनियन पोल के जरिए जनता में ओपिनियन बनाने वाले टीवी चैनलों के लिए ये बुरी खबर हो सकती है। प्रोपेगेंडा और ब्लैकमेलिंग के जरिए करोड़ों की उगाही और कमाई करने वाले टीवी चैनलों के लिए ये घाटे की खबर हो सकती है कि एक राष्ट्रीय दल चुनाव से पहले आने वाले ओपिनियन पोल्स पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रही है।
किसी के पक्ष में माहौल बनाने और किसी के खिलाफ राय बनाने में माहिर एजेंसियों और टीवी चैनलों के खिलाफ शिकायत करते हुए बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश मिश्रा ने चुनाव आयोग में लिखित शिकायत दी है। उन्होंने न सिर्फ इस बात की मांग की है कि चुनाव के 6 महीने पहले तक इस तरह के ओपिनियन पोल न दिखाए जाएं बल्कि टीवी चैनलों और सर्वे करने वाली एजेंसियों के नीयत पर भी सवाल उठाया है।
आज हमने आदरणीय बहन सुश्री मायावती जी दिशा निर्देशन में दिल्ली में भारत चुनाव आयोग को ज्ञापन सौंपा, जिसमें चुनाव से 6 महीने पहले से मीडिया द्वारा सभी प्री पोल सर्वे को न दिखाये जाने की मांग की। pic.twitter.com/oLjnP8BOjU
— Bahujan Samaj Party (@bspindia) October 24, 2021
इसके साथ ही पिछले महीने c-voter द्वारा किए गए सर्वे का उदाहरण देते हुए उन्होंने एक स्टिंग ऑपरेशन का जिक्र किया है जिसमें ये बिकाऊ एजेंसी एक्सपोज हुई है। तमाम कानूनी दांवपेच बताते हुए बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश मिश्रा ने चुनाव आयोग को समझाया है कि कैसे निष्पक्ष चुनाव के लिए ऐसे चुनावी सर्वे पर प्रतिबंध जरूरी हो गया है।
अगर बसपा के राष्ट्रीय महासचिव द्वारा दिए गए इन तर्कों पर चुनाव आयोग अमल करता है और ओपिनियन पोल पर प्रतिबंध लगाता है तो ये न सिर्फ एजेंसी और टीवी चैनलों के लिए सबक होगा बल्कि भाजपा जैसी साधन संपन्न सत्ताधारी पार्टी के लिए नुकसानदेह भी साबित होगा क्योंकि अधिकतर चुनाव के पहले टीवी चैनल भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने लगते हैं। जिससे संशय में पड़े वोटर भी भाजपा की ओर रुख कर लेते हैं और इस तरह इस पार्टी को जीत मिल जाती है।
चुनाव आयोग इस पर क्या निर्णय देता है ये बात इसलिए भी अहम होगी क्योंकि आने वाले कुछ महीनों के अंदर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। इन पांच राज्यों की जनता के मन में पहले से अपनी राय थोपने की तैयारी कर रहे टीवी चैनलों पर अगर समय रहते प्रतिबंध लग गया तो चुनावी नतीजे हैरानी भरे हो सकते हैं।