एक तरफ़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने की बात कर रहे हैं तो दूसरी तरफ़ देश आर्थिक मोर्चे पर पिछड़ता नज़र आ रहा है। दरअसल, सोमवार को जारी रिपोर्ट से इस बात का ख़ुलासा हुआ है कि देश में बिजनेस सेंटीमेंट 3 साल के निचले स्‍तर पर है यानी देश के कारोबारियों का मनोबल टूट रहा है।

आईएचएस मार्किट इंडिया बिजनेस आउटलुक की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, कारोबारी या कंपनियां देश के हालत को लेकर चिंतित नज़र आ रहे हैं। इनकी सबसे अहम चिंता अर्थव्यवस्था की सुस्ती, सरकारी नीतियां और पानी की कमी को लेकर है। साथ ही कुशल कामगारों की कमी, बढ़ी हुई टैक्स दरें, वित्तीय परेशानियां और ग्राहकों की ओर से रियायतें मांगे जाने पर जोर बढ़ते रहने की वजह से भी कारोबारी चिंचित हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्थिक गतिविधियां सुस्त रहने से कंपनियां के मुनाफे में गिरावट आ सकती है। वहीं कंपनियों में नियुक्तियों पर भी इसका असर पड़ सकता है। इसके अलावा कंपनियों का पूंजीगत खर्च भी कम हो सकता है।

रिपोर्ट के मुताबिक आगे उत्पादन वृद्धि की संभावना देख रही निजी क्षेत्र की कंपनियों का आंकड़ा फरवरी के 18 फीसदी से घटकर जून में 15 फीसदी पर आ गया।  यह जून, 2016 के और अक्टूबर, 2009 के आंकड़े के बराबर है।  रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनियों को आने वाले समय में रुपये की कमजोरी को लेकर भी चिंता है। उनका मानना है कि यदि ऐसा हुआ तो आयात भी महंगा हो जाएगा, जिससे कंपनियों के मार्जिन प्रभावित होंगे।

आईएचएस मार्किट की प्रधान अर्थशास्त्री पोलियाना डे लीमा ने कहा कि आने वाले समय में उत्पादन और मुनाफा बढ़ने की उम्मीद कहीं न कहीं बनी हुई है। बता दें कि आईएचएस मार्किट फरवरी, जून और अक्टूबर में संकलित डाटा के आधार पर हर 4 महीने में एक बार अपनी रिपोर्ट जारी करता है।

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