दुनियाभर में भारत वैक्सीन का सबसे बड़ा निर्माता है। लेकिन सबसे बड़ा निर्माता ही खुदकी जनता का तेज़ी से टीकाकरण नहीं करवा पा रहा है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, देश की 70% आबादी का टीकाकरण करने में लगभग 8 साल लग जाएंगे, तो वहीं पूरी आबादी का टीकाकरण करने में 10 साल तक लग सकते हैं।

देश में टीकाकरण की प्रक्रिया जनवरी महीने से शुरू हो गई थी। अब तक देश में लगभग 14 करोड़ वैक्सीन के डोज़ लगाए जा चुके हैं।

22 अप्रैल को ‘इंडिया टुडे’ में छपी खबर के अनुसार, मौजूदा गति के हिसाब से भारत की सम्पूर्ण जनसंख्या का टीकाकरण करने में 12 साल लगेंगे। इसी के साथ 8 वर्षों में जाकर 70 % आबादी का टीकाकरण हो पाएगा।

जब किसी देश की 70% आबादी का टीकाकरण हो जाता है, तो वहां ‘हर्ड इम्युनिटी’ आ जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसके बाद आबादी ही एक तरह से बीमारी से इम्यून हो जाती है।

लेकिन भारत में कोरोना वायरस से इम्यून होने के लिए आठ साल तक लग सकते हैं। ये हालात तब हैं जब महामारी का कहर सबसे तेज़ है और लोग उससे बचने के लिए हर कदम उठाना चाह रहे हैं।

‘बिज़नेस टुडे’ की रिपोर्ट के मुताबिक अब तक लगभग 11% आबादी को कोरोना वैक्सीन का पहला डोज़ लग चुका है और मात्र 8% को दूसरा डोज़ लगा है।

वहीं ‘फर्स्टपोस्ट’ की रिपोर्ट के हिसाब से साल के अंत तक भारत की केवल 30% आबादी का ही टीकाकरण हो पाएगा।

देश में कोरोना की दूसरी लहर के कारण अस्पतालों के बेड भर चुके हैं, लोग ऑक्सीजन की कमी के कारण दम तोड़ रहे हैं और दुनिया में सबसे ज़्यादा वैक्सीन पहुंचाने वाला देश अपनी जनता के टीकाकरण में इतना समय ले रहा है।

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