सेना के नाम पर वोट मांगने वाली मोदी सरकार को सैनिकों का कितना ख़्याल है इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सियाचिन व लद्दाख में तैनात हमारे जवानों के पास ठंड से लड़ने के लिए न तो ढंग के जूते हैं और न ही ज़रूरी भोजन।
इस बात का ख़ुलासा नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) की एक रिपोर्ट से हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक, सियाचिन (Siachen) व लद्दाख में तैनात भारतीय सेना के जवानों के पास न पहनने के लिए स्नो गॉगल्स हैं और न ही मल्टीपर्पज शूज़। जिससे जवानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
इसके साथ ही रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि सेना के जवान (Indian Army) ऊंचाई वाले इलाके में भोजन के अधिकृत दैनिक उपयोग से भी वंचित है। इन इलाकों में जवानों को कैलोरी इनटेक से भी समझौता करना पड़ रहा है। जिससे कई जवानों की तबीयत भी बिगड़ रही है।
यूनियन गवर्नमेंट (डिफेंस सर्विसेज)-आर्मी पर CAG की इस रिपोर्ट को राज्यसभा में पेश किया गया है। हालंकि इसे लोकसभा में नहीं रखा जा सका है, जिसके चलते इसे सार्वजनिक नहीं किया गया है। CAG की इस रिपोर्ट का ख़ुलासा न्यूज़ एजेंसी IANS ने सूत्रों के आधार पर किया है।
सूत्रों के मुताबिक, ऊंचाई वाले इलाकों में सेना के जवान कई तरह की कमियों से जूझ रहे हैं। यहां स्नो गॉगल्स की कमी 62 फीसदी से 98 फीसदी है, जिससे जवानों का चेहरा व आंखें ऊंचाई वाले इलाकों में खराब मौसम में बिना ढकी रहती हैं। इससे भी बुरी बात है कि जवानों के पास नए मल्टीपर्पस जूते नहीं हैं, जिसके चलते उन्हें पुराने जूतों का ही इस्तेमाल करना पड़ता है।
सूत्रों के मुताबिक इन इलाकों में स्थिति बेहद निराशाजनक है। यहां तैनात जवानों को पुराने वर्जन के फेस मास्क, जैकेट व स्लीपिंग बैंग दिए गए हैं। इसके साथ ही यहां जवान बेहतर उत्पादों के इस्तेमाल से वंचित हैं।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि रक्षा प्रयोगशालाओं द्वारा अनुसंधान और विकास की कमी के कारण आयात पर निरंतर निर्भरता बनी हुई है। इसके अलावा, यहां तैनात सैनिकों के लिए उनकी दैनिक ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विशेष राशन की व्यवस्था है। लेकिन इन सामानों के बदले में कीमत के आधार पर वस्तुएं अधिकृत की गईं, जिससे विकल्प वाली वस्तुओं की कम आपूर्ति होती है।
इससे जवानों की कैलोरी इनटेक से समझौता होता है। लेह स्टेशन पर सीएजी ने पाया कि विशेष राशन सामान जो दिखाए गए थे, जो सैनिकों के उपभोग के जारी किए गए वे बिना वास्तविक रसीद के जारी किए गए थे।