जम्मू कश्मीर बीजेपी-पीडीपी की सरकार के दौरान 10 हजार करोड के हेरफेर का मामला सामने आया है।

कैग की रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2017-18 के दौरान जम्मू कश्मीर में सरकार ने कुछ गैर पारदर्शी खर्चे की वजह से एकाउंट्स की ठीक जानकारी नहीं दी।

दरअसल जम्मू कश्मीर के वित्तीय संचालन की जांच के बाद संसद में पेश की गई कैग की रिपोर्ट में ये बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है।

वित्तीय रिपोर्टिंग में एक प्रावधान ऐसा होता है कि जिसके तहत माइनर हेड खर्चे को ट्रेस नहीं किया जा सकता।

इस मामले में तत्कालीन सीएजी आशीष महर्षि ने रिपोर्ट में बताया है कि माइनर हेड 800 के तहत बजट और अकाउंटिंग संभालने से रसीदों की पहचान खर्चे और राजस्व की पहचान नहीं हो पाती। जिसके चलते अकाउंट्स मे ट्रांसपेरेंसी नहीं रहती।

आपको बता दें कि 2017-18 में जम्मू-कश्मीर की महबूबा सरकार खर्चों के लिए केंद्र की मदद पर निर्भर थी। यह निर्भरता इस कदर थी कि जम्मू-कश्मीर सरकार के कुल राजस्व का 47 फीसदी केंद्र की ग्रांट से ही मिलता था।

साल 2018 में जम्मू-कश्मीर में भाजपा और पीडीपी का गठबंधन टूट गया। जिसके बाद राज्य में राज्यपाल शासन लगा दिया गया था। वहीँ बीते साल राज्य से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगाया गया।

इस मामले में वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम ने कैग की रिपोर्ट की तस्वीर शेयर करते हुए लिखा है कि “BJP -PDP कार्यकाल में 10000 करोड़ की हेराफेरी ? राष्ट्रवादी पार्टी के सत्ता में होते हुए हज़ारों करोड़ की हेराफेरी कैसे हो सकती है ? गौर से इस रिपोर्ट को पढ़ लीजिए. खबर CAG के हवाले से है।

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