ट्रेनों और हवाई अड्डों को बेचने के बाद अब मोदी सरकार देश की दूसरी सबसे बड़ी पेट्रोलियम कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) और विमानन कंपनी एयर इंडिया (Air India) को बेचने की तैयारी कर रही है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि ‘सरकार अगले साल मार्च तक इन दोनों कंपनियों को निजी हाथों में सौंप सकती है।’
टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में वित्त मंत्री ने कहा कि आर्थिक सुस्ती से निपटने के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। इन दोनों कंपनियों को बेचने का मक़सद भी इसी दिशा में उठाया गया कदम है। उन्होंने कहा कि ये दोनों कंपनियां बेचने से सरकार को इस वित्त वर्ष में एक लाख करोड़ रुपये का फायदा होगा।
मार्च तक BPCL और एयर इंडिया को बेच देगी मोदी सरकार, वित्तमंत्री बोलीं- मंदी से निपटने का यही उपाय
मौजूदा वित्त वर्ष में कर संग्रह में गिरावट आई है। अक्तूबर महीने में जीएसटी संग्रह एक लाख करोड़ से कम रहा। पिछले महीने की तुलना में यह 5.29 फीसदी कम रहा। इसलिए सरकार विनिवेश और स्ट्रैटेजिक सेल के ज़रिए रेवेन्यू जुटाना चाहती है।
वहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के इस बयान पर कांग्रेस नेता धीरज गुर्जर ने मोदी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा- एयर इंडिया और भारत पेट्रोलियम को बेचने वाले व्यापारियों, देश की जनता को ये भी बता दो कि देश को किस तारीख में बेचने की प्लानिंग बना रखी है आपने…? सरकारी व्यापारियों जब सब कुछ बेच दोगे तो देश में बचेगा ही क्या….?
एयर इंडिया और भारत पेट्रोलियम को बेचने वाले व्यापारियों, देश की जनता को ये भी बता दो कि देश को किस तारीख में बेचने की प्लानिंग बना रखी है आपने…? सरकारी व्यापारियों जब सब कुछ बेच दोगे तो देश में बचेगा ही क्या….? https://t.co/dHE3NiB27c
— Dheeraj Gurjar (@dgurjarofficial) November 18, 2019
आपको बता दे कि सरकार के पास वर्तमान में एयर इंडिया की 100 प्रतिशत इक्विटी है। उसने इसकी 76 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के लिए बोलियां मांगी थीं जिस पर कोई भी निवेशक तैयार नहीं हुआ था। निवेशकों का कहना था कि उन्हें आशंका है कि बिक्री के बाद एयर इंडिया में 24 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ सरकार हस्तक्षेप करती रहेगी।
वहीं बीपीसीएल की बात करें तो सचिवों के एक समूह ने अक्टूबर में सरकार की पूरी 53.29 प्रतिशत हिस्सेदारी की बिक्री के लिए सहमति व्यक्त की थी। भारत पेट्रोलियम का बाजार पूंजीकरण लगभग 1.02 लाख करोड़ रुपए है। इसकी 53 फीसदी हिस्सेदारी की बिक्री के जरिये सरकार लगभग 65,000 करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद कर रही है।