वाराणसी लोकसभा सीट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देने वाले बीएसएफ के पूर्व जवान तेजबहादुर यादव का नामांकन रद्द किए जाने को लेकर बड़ा खुलासा सामने आया है। निजि समाचार चैनल एबीपी के स्टिंग ऑपरेशन से यह बात सामने आई है कि साज़िश के तहत उनके नामांकन को रद्द किया गया।
एबीपी न्यूज़ ने अपने स्टिंग में इस बात का खुलासा किया है कि पर्यवेक्षक ने तेजबहादुर के नामांकन को रद्द करने के लिए साज़िश रची। स्टिंग में खुद पर्यवेक्षक ने ये बात साफ़ की है कि उसने तेजबहादुर के नामांकन को रद्द करने के लिए 48 घंटों की जी तोड़ मेहनत की है।
पर्यवेक्षक ने कैमरे के सामने बताया कि उसे तेज बहादुर के नामांकन के दस्तावेज़ में कोई कमी नहीं मिल रही थी, जिसकी बुनियाद पर नामांकन रद्द किया जा सके। ऐसे में उसे नामांकन रद्द करने के लिए कड़ी मेहनत की।
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उसने बताया कि इस काम के लिए उसे रिटर्निंग ऑफिसर और वकील की मदद लेनी पड़ी। स्टिंग से यह बात सामने आई है कि पर्यवेक्षक के कहने पर ही तेजबहादुर को जनप्रतिनिधि कानून की धारा 33/3 के तहत दूसरा नोटिस भेजा गया था। जबकि पहले वाला नोटिस जो कि धारा 9 के तहत भेजा गया था, उसमें तेज बहादुर को हरी झंडी मिल गई थी।
इस स्टिंग से इस बात का साफ हो गई है कि तेज बहादुर के नामांकन को पहले रिटर्निंग ऑफिसर ने स्वीकार कर लिया था, लेकिन इसमें पर्यवेक्षण ने अड़ंगा लगाया। जिसके बाद उनके नामांकन को खारिज कर दिया गया।
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देखिए कैसे साजिश के तहत मेरा नामांकन रद्द किया गया जो मैं बार-बार कहता रहा हूं अब एबीपी न्यूज़ की पड़ताल में सच सारे देश के सामने हैं बीजेपी के लोग किस तरीके से डरे हुए हैं जिन के दबाव में अधिकारी 48 घंटे तक मेरा नामांकन रद्द करने का बहाना ढूंढते रहे
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