देश में भीड़ हिंसा की वारदातें थमने का नाम ही नहीं ले रही। ताज़ा मामला ओड़िशा के नाबरनपुर जिले से समाने आया है। जहां एक दलित आयुर्वेदिक डॉक्टर को धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप में घसीट-घसीट कर पीटा गया।

मामला ज़िले के झारीगांव इलाके का है। यहां भवतोष मंडल नाम के एक आयुर्वेदिक डॉक्टर ने अपना क्लीनिक खोला है। डॉक्टर पर आरोप है कि उसने बीमारी के इलाज वाले प्रमोशनल पोस्टर्स पर हिंदू देवी-देवताओं की तस्वीर लगा दी थी। जिससे इलाके में सक्रिय बजरंग दल के कार्यकर्ता भड़क गए और डॉक्टर की क्लिनिक पर धावा बोल दिया।

कथित तौर पर बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने पहले डॉक्टर को खींचकर क्लिनिक से बाहर निकाला और बेरहमी से पिटाई शुरु कर दी। बजरंग दल के कार्यकर्ता यहीं नहीं रुके, इसके बाद वो लोग डॉक्टर को घसीटते हुए चौराहे पर ले गए। जिसके बाद डॉक्टर को घुटनों के बल बैठाकर सबके सामने माफी मंगवाई गई।

इस मामले का वीडियो भी सामने आया है, जो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है। वायरल वीडियो में बजरंग दल के कार्यकर्ताओं की गुंडागर्दी को साफ़ तौर पर देखा जा सकता है। वह वीडियो में डॉक्टर को घसीट-घसीट कर पीटते नज़र आ रहे हैं। लेकिन जब कार्यकर्ताओं से इस गुंडागर्दी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने भावनाएं आहत होने की बात कही।

उपद्रवी कार्यकर्ताओं का कहना है कि क्लिनिक में तस्वीरों के प्रदर्शन से उनकी भावनाओं को चोट पहुंची है। वे इसे नहीं लगने नहीं देंगे। इसी वजह से उन्होंने डॉक्टर को पीटा और सड़क पर घसीटकर माफी मांगने के लिए कहा। यहां सवाल ये है कि भावनाएं आहत होने पर किसी को पीटने का अधिकार इन उपद्रवी कार्यकर्ताओं को किसने दिया? क्या बजरंग दल के कार्यकर्ता ख़ुद को कानून से ऊपर मानते हैं?

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