क्या देश में बिगड़ती कानून व्यवस्था और लचर स्वास्थ्य व्यवस्था के बीच अब अर्थव्यवस्था की रफ़्तार धीमी पड़ने लगी है। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने अर्थव्यवस्था की रफ़्तार को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि ब्याज दरों में कटौती की वजह से इस बात का संकेत मिल रहा है की आर्थिक गतिविधियां कमजोर हुई हैं।
दरअसल बीते 3 से 6 जून तक चली केंद्रीय बैंक के मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक में ब्याज दरों में कटौती करने का फैसला लिया था। इस फैसले पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए आरबीआई गवर्नर ने कहा कि वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही में जीडीपी दर 5.8 फीसदी होने से साफ़ होता है की आर्थिक गतिविधियां कमजोर हुई हैं।
उन्होंने कहा की आर्थिक विकास दर की रफ़्तार साफ़ तौर पर कमजोर हुई जबकि नीतिगत ब्याज दर से पिछली दो कटौती में बदलाव होने बावजूद प्रमुख महंगाई दर 2019-20 में चार फीसदी से नीचे रहने का अनुमान है।
"Overall, there is clear evidence of #economic activity losing traction, with the #GDP growth in Q4 (2018-19) slowing down to 5.8 per cent," #RBI Governor #ShaktikantaDas had said during the #MonetaryPolicyCommittee meet.#Minutes #MPC
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— IANS Tweets (@ians_india) June 20, 2019
भले ही प्रधानमंत्री मोदी नीति आयोग की बैठक में ये चुनौतीपूर्ण लक्ष्य देते हुए साल तक 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का सपना देख रहें हो। मगर फिलहाल ऐसा होता नज़र नहीं आ रहा है। पिछले ही दिनों पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने झूठी विकास दर पेश करने का आरोप लगा था।
जिसमें उन्होंने कहा था कि देश में विकास की रफ्तार 7 फीसदी नहीं बल्कि 4.5 फीसदी रही है और मौजूदा सरकार ने इसे 2.5 फीसदी बढ़ाकर बताया है। उन्होंने ये भी कहा था कि जिस आधार पर विकास दर मापी गई वह खराब ही नहीं टूटा हुआ था।