सिद्धार्थ रामू

खेत और किसानों को पूरी तरह कार्पोरेट के हवाले करने का निर्णय- लोकसभा द्वारा बिल पास, किसानों द्वारा 25 सितंबर को भारत बंद का आह्वान

केंद्र सरकार संसद के मौजूदा मानसून सत्र में किसानों से संबंधित कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा प्रदान करना) विधेयक, 2020, कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 लेकर आई है. यह बिल गुरुवार को लोकसभा में पास पारित हो गया।

इन बिलों का एकमात्र उद्देश्य खेती की जमीन और किसानों को कार्पोरेट के हवाले करना।

मोदी सरकार का एकमात्र उद्देश्य पूरे देश का कार्पोरेटाइजेशन करना है, जिसका मतलब होता है, देश की सारी संपदा मुट्ठी भर कार्पोरेट के हाथों में सौंप देना और पूरे देश को कार्पोरेट का चाकर ( गुलाम) बना देना।

इसके लिए निम्न कदम जरूरी हैं-

1- खुद की जमीन के मालिक किसानों का खत्म करके खेती की जमीन को भी कार्पोरेट फार्मिंग के लिए उपलब्ध कराया जाए, किसानों को उजाड़कर उन्हें शहरों में पलायन करने और मजदूर बनने के लिए विवश किया जाए, बचे-खुचे किसान कार्पोरेट के बंधुआ सेवक-मजदूर बन जाएं।

2- आदिवासियों के जल, जंगल और जमीन को कार्पोरेट को सौंप दिया जाए, जो तेजी से हो रहा है और इन्हें पूरी तरह शारीरिक श्रम बेंचने वाले मजदूर में बदल दिया जाए और उन्हें उनके वास स्थानों से उजाड़ दिया जाए, जहां बड़े पैमाने पर प्राकृतिक खनिज संसाधन हैं, जिस पर कार्पोरेट की नजर है। यह प्रक्रिया लंबे समय से चल रही है, मोदी सरकार इसे तेज कर रही है।

3- छोटे-मझौले कारोबारियों और व्यापारियों को खत्म कर दिया जाए और उन्हें कार्पोरेट का नौकर बनने के लिए मजबूर कर दिया जाए। नोटबंदी, जीएसटी और लॉकडाउन के माध्यम से इसकी पृष्ठभूमि बना दी गई है और इसकी शुरूआत बड़े पैमाने पर हो चुकी है। लाखों-लाख छोटे-मझोले व्यापारी बर्बाद हो चुके हैं और उनके कारोबार कब के बंद हो चुके हैं।

4- देश के लोगों आर्थिक बचत के मालिक बैंको, बीमा कंपनियों और अन्य वित्तीय संस्थानों को भी कार्पोरेट को सौंप दिया जाए। यह भी शुरू हो चुका है। भारतीय जीवन बीमा को बेंचने को निर्णय हो चुका है और बैंकों के निजिकरण की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है।

5- देश की सभी सार्वजनिक कंपनियों को कार्पोरेट को सौंप दिया जाए, यह तेजी से हो रहा है।

संघ-भाजपा की सरकार हिंदू राष्ट्र और राष्ट्रवाद के नाम पर जनसमर्थन जुटा रही है।

मुसलमानों के प्रति धार्मिक घृणा से भरे हिंदू और दलित-बहुजनों के प्रति जातीय घृणा से भरा अपरकॉस्ट और मेहनकशों के प्रति विद्वेष एवं घृणा से भरा उच्च मध्यवर्ग एवं मध्यवर्ग का एक हिस्सा मोदी जी के साथ खड़ा है।

इस साथ का इस्तेमाल मोदी जी देश को कार्पोरेट के हाथ में सौंपने के लिए कर रहे हैं।

अंततोगत्वा तो तथाकथित हिंदूवादियों-राष्ट्रवादियो के बहुलांश हिस्से और अपरकॉस्ट के भी बड़े हिस्से को कुछ भी हाथ नहीं लगेगा, लेकिन बदले और घृणा से भरे लोग खुद के पैर में भी कुल्हाड़ी मारने में चूकते नहीं, यदि उन्हें लगे की वे जिनसे घृणा एवं नफरत करते हैं, उसे उससे चोट पहुंचेगी और उसका नुकसान होगा।

बदले की भावना क्या-क्या नहीं कराती है। यह इस समय देश को बर्बाद कर रही है।

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