मोदी सकार का कार्यकाल लगभग पूरा हो चुका है। विकास और देश को चाँद पर ले जाने के नाम पर सत्ता में आई मोदी सरकार उस पिछली सरकार के सामने फ़ैल हो गई है जिसे उसे ‘नाकाम सरकार’ और जिसकी नीतियों को नाकामी का पुलंदा बताया था।

मोदी सरकार की नाकामी का ये हाल है कि उसने देश के सबसे बड़े समुदाय को बर्बादी के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है। विकास की बात करने वाली इस सरकार ने किसानों के विकास को पहले से बहुत ज़्यादा धीमा कर दिया है।

भाजपा 2014 लोकसभा चुनाव से खुद को किसानों और गरीबों की पार्टी होने का दावा कर रही थी। लेकिन उसी के शासन में किसानों की स्तिथि पहले से ज़्यादा बिगड़ी है। अगर मोदी सरकार और यूपीए सरकार के दौरान किसानों की आय में बढ़ोतरी के आंकड़ों को देखा जाएं तो सामने आता है कि इस सरकार के कार्यकाल में किसानों को बड़ा नुकसान हुआ है।

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कई मुख्य अर्थशास्त्रियों द्वारा लिखी गई किताब “A Quantum Leap In a Wrong Direction” के मुताबिक मोदी सरकार के कार्यकाल में किसान मज़दूरों की आय 3.8% बढ़ी है। जबकि यूपीए-2 सरकार के कार्यकाल के दौरान किसान मज़दूरों की आय 7.7% बढ़ी थी।

गौरतलब है कि कृषि क्षेत्र में किसान मजदूरों की संख्या सबसे ज़्यादा है। बहुत ही कम किसान है जो ज़मीन के मालिक हैं इसलिए ज़्यादातर किसान पट्टे पर ज़मीन लेते हैं या खेत में मज़दूरी करते हैं।

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विडंबना ये है कि मोदी सरकार ने वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था लेकिन उनके आय बढ़ोतरी की रफ़्तार पहले से 50% घट गई है। आंकड़ें साफ़ दिखाते हैं कि इस संबंध में मोदी सरकार की रफ्तार तो अपनी पिछली सरकार से 50% कम है।

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