भाजपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य प्रदेश की योगी सरकार से इस्तीफ़ा देकर समाजवादी हो गए हैं। यानी अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए हैं।

स्वामी प्रसाद मौर्य ने दावा किया है कि उनके इस्तीफ़े का ‘असर 2022 विधानसभा चुनाव के बाद दिखाई देगा।’

स्वामी प्रसाद मौर्य के इस कदम से भाजपा में खलबली मची हुई है। उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री और प्रदेश में भाजपा के प्रमुख ओबीसी चेहरा केशव प्रसाद मौर्य ने स्वामी प्रसाद मौर्य को मनाने की कोशिश की है।

केशव प्रसाद मौर्य ने लिखा है, ”आदरणीय स्वामी प्रसाद मौर्य जी ने किन कारणों से इस्तीफा दिया है मैं नहीं जानता हूँ, उनसे अपील है कि बैठकर बात करें। जल्दबाजी में लिये हुये फैसले अक्सर गलत साबित होते हैं”


स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे के बाद से कई और भाजपा नेता पार्टी छोड़ते नज़र आ रहे हैं। ऐसे में भाजपा के साथ-साथ भाजपा के लिए प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से काम करने वाले न्यूज़ संस्थानों में भी खलबली मची हुई है।

ऐसे संस्थानों द्वारा लगातार स्वामी प्रसाद मौर्य को दल-बदलू, मौसम वैज्ञानिक आदि कहकर बदनाम किया जा रहा है।

स्वामी प्रसाद मौर्य को कभी ‘अचानक हुआ हृदय परिवर्तन’ तो कभी भाजपा से टिकट कटने का ताना दिया जा रहा है। जबकि भाजपा द्वारा लगातार स्वामी को मनाने की कोशिश चल रही है।

भाजपा से नाता तोड़ने वाले को दलबदलू कहने वाला ये मीडिया अभी कुछ माह पहले कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होने वाले जितिन प्रसाद को बेड़ा पार करने वाला बता रहा था। यूपी में भाजपा का प्रमुख ब्राह्मण चेहरा बता रहा था। जितिन प्रसाद के सहारे ब्राह्मण शंख बजा रहा था।

आजतक की एंकर चित्रा त्रिपाठी तो यूपी में ब्राह्मणों की संख्या 11 से 14 फीसदी बताते हुए जितिन प्रसाद को किंगमेकर बता रही थी। जबकि 1931 की जनगणना के मुताबिक ब्राह्मणों की संख्या 5.2 प्रतिशत थी। 1931 के बाद जातियों की गिनती का कोई आंकड़ा सार्वजनिक नहीं है।

अगर 1931 की जनगणना और समृद्ध जातियों की जनसंख्या बढ़ने के रफ्तार को ध्यान में रखें तो ब्राह्मणों की संख्या 5.2 प्रतिशत से कम ही हुई होगी, बढ़ी नहीं होगी।

ऐसे में जितिन प्रसाद के कांग्रेस छोड़ने और भाजपा से जुड़ने से कोई नया राजनीतिक समीकरण नहीं बनने वाला था। वैसे भी जो जितिन प्रसाद अपनी जमानत नहीं बचा पाए थे वो किसी पार्टी के लिए किंगमेकर कैसे हो सकते हैं?

जी, हाँ, 2019 में धौरहरा से लोकसभा चुनाव लड़कर जितिन प्रसाद अपनी जमानत जब्त करवा चुके हैं।

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