मुगलकाल में सम्राट अकबर की राजधानी फतेहपुर सीकरी में लोकसभा चुनाव के लिए 18 अप्रैल को मतदान होगा। इस सीट पर फिलहाल बीजेपी का कब्ज़ा है। इस बार यहां मुकाबला त्रिकोणीय है। बीजेपी और महागठबंधन के अलावा कांग्रेस भी यहां मज़बूत नज़र आ रही है।

2009 में अस्तित्व में आई फतेहपुर सीकरी सीट के अंतर्गत पांच विधानसभा सीटें आगरा ग्रामीण, फतेहपुर सीकरी, खेरागढ़, फतेहाबाद और बाह आती हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में पांचों सीटों पर बीजेपी का कमल खिला था।

लेकिन अब यहां हवा का रुख़ कुछ बदला हुआ नज़र आ रहा है।

16,92,898 वाली इस सीट पर 2014 में बीजेपी ने ज़ोरदार जीत दर्ज की थी। बीजेपी के चौधरी बाबूलाल को 4,26,598 वोट मिले थे। वहीं बसपा की सीमा उपाध्याय 2,53,483 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रही थी। पिछले चुनाव में यहां सपा भी अच्छे खासे वोट जुटाने में कामयाब रही थी। सपा की पक्षालिका सिंह को 2,13,397 वोट मिले थे।

इस बार सपा और बसपा साथ चुनाव लड़ रही हैं और पिछली बार के वोटों के आंकड़े को देखते हुए यहां स्पष्ट रूप से महागठबंधन को बढ़त मिलती नज़र आ रही है। लेकिन कांग्रेस ने यहां राज बब्बर को मैदान में उतारकर चुनाव को दिलचस्प बना दिया है।

राज बब्बर इस क्षेत्र से पहले भी सांसद चुने जा चुके हैं। इसके साथ ही उन्हें किसान हित में किए अपने संघर्षों का फायदा भी मिल सकता है। वह इस चुनाव में ग्लैमर और स्टारडम का भी भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं। उनके फिल्म स्टार बेटे प्रतीक बब्बर और बेटी जूही बब्बर उनके लिए चुनाव प्रचार करते नज़र आ रहे हैं।

इन सभी फैक्टर्स को देखते हुए राज बब्बर बीजेपी के प्रत्याशी राजकुमार चाहर और महागठबंधन के प्रत्याशी भगवान शर्मा उर्फ गुड्डू पंडित को कड़ी टक्कर देते दिखाई दे रहे हैं। सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि बीजेपी ने अपने जीते हुए प्रत्याशी चौधरी बाबूलाल पर भरोसा नहीं जताया है, पार्टी ने इस बार बाबूलाल की जगह राजकुमार चाहर को टिकट दिया है।

जिससे बाबूलाल के समर्थकों में नाराज़गी है और अगर यह नाराज़गी मतदान के वक्त तक रही तो ये पार्टी को भारी पड़ सकती है। हालांकि बसपा ने भी अपने पुराने उम्मीदवार की जगह यहां गुड्डू पंडित पर भरोसा जताया है। बता दें कि 2014 में बसपा की प्रत्याशी रहीं सीमा उपाध्याय 2009 में यहां की पहली संसद बनी थीं।

क्या है यहां का जातीय समीकरण

यहां 2 लाख जाट और करीब 1.50 लाख कुशवाहा वोटर हैं। इसके अलावा इस सीट पर डेढ़ लाख के करीब दलित वोटर्स हैं और एक लाख से ज्यादा मुस्लिम वोटर्स हैं। वहीं इस सीट पर सबसे ज़्यादा तादाद ठाकुर और ब्राह्मण वोटरों की है। ठाकुर और ब्राह्मण यहां करीब 6 लाख हैं।

हालांकि ठाकुर और ब्राह्मणों को परंपरागत रूप से भाजपा का वोटर माना जाता है, लेकिन इस बार हालात कुछ बदले हुए हैं। राज बब्बर जाटव, कुशवाहा और मुस्लिमों वोटों के आधार पर अपनी जीत की संभावनाएं देख रहे हैं।

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