रवीश कुमार ने सलाह दी है कि ‘ढाई महीने के लिये टीवी चैनल मत देखिये क्योंकि यह चैनल नफरत उन्माद और झूठ फैला रहे हैं’

रवीश सही कह रहे हैं, हमारे परिवार ने पांच साल पहले टीवी का कनेक्शन काटकर उसका मुंह दीवार की तरफ घुमा कर रख दिया था।

नतीजा यह है कि दोनो बेटियां युद्ध और नफरत के खिलाफ लिखती हैं, अपने दोस्तों को समझाती हैं।

अगर आप भारत में पत्रकारिता को बचाना चाहते हैं तो न्यूज़ चैनलों को देखना बंद कर दें- रवीश कुमार

छोटी बेटी की क्लास टीचर ने एक बार क्लास में पाकिस्तान के बारे में नफरत भरी बातें कहीं तो बेटी नें टीचर से ज़ोरदार बहस करी।

उसके बाद टीचर ने दोबारा नफरती बात नहीं की

अब तो बेटियां घर पर ही पढ़ती हैं। टीवी के अलावा क्लास रूम भी नफरत फैलाने का काम करते हैं। उस पर भी काम करने की ज़रूरत है।

क्या थी रवीश कुमार की अपील-

अगर आप अपनी नागरिकता को बचाना चाहते हैं तो न्यूज़ चैनलों को देखना बंद कर दें। अगर आप लोकतंत्र में एक ज़िम्मेदार नागरिक के रूप में भूमिका निभाना चाहते हैं तो न्यूज़ चैनलों को देखना बंद कर दें। अगर आप अपने बच्चों को सांप्रदायिकता से बचाना से बचाना चाहते हैं तो न्यूज़ चैनलों को देखना बंद कर दें।

अगर आप भारत में पत्रकारिता को बचाना चाहते हैं तो न्यूज़ चैनलों को देखना बंद कर दें। न्यूज़ चैनलों को देखना ख़ुद के पतन को देखना है। मैं आपसे अपील करता हूं कि आप कोई भी न्यूज़ चैनल न देखें। न टीवी सेट पर देखें और न ही मोबाइल पर। अपनी दिनचर्या से चैनलों को देखना हटा दीजिए। बेशक मुझे भी न देखें लेकिन न्यूज़ चैनलों को देखना बंद कीजिए।

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