उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हुए प्रदर्शनों के बाद प्रदर्शनकारियों की गिरफ्तारियों का सिलसिला शुरु हो गया है। पुलिस प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करने के लिए कथित तौर पर घरों पर दबिश दे रही है और प्रदर्शनकारियों के परिजनों से मारपीट और बदसलूकी कर रही है। आरोप है कि पुलिस कई घरों में घुसकर तोड़फोड़ भी कर रही है।

पुलिस द्वारा की जा रही इस बर्बर कार्रवाई की चारों तरफ़ आलोचना हो रही है। विपक्षी नेताओं से लेकर देश की कई जानी मानी हस्तियां पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठा चुकी हैं। अब मानवधिकार कार्यकर्ताओं ने भी पुलिस की कार्रवाई को पूरी तरह से अमानवीय बताया है। मानवधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि उत्तर प्रदेश में अब ‘आतंक का राज’ है जहां पुलिस लोगों पर झूठे मुकदमे दर्ज कर उन्हें प्रताड़ित कर रही है। पुलिस इस तरह CAA के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन को कुचलना चाहती है।

मानवाधिकार कार्यकर्ता हर्ष मंदर ने कहा कि पुलिस जिस तरह से CAA का विरोध करने वाले अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) छात्रों के ख़िलाफ कार्रवाई कर रही है उससे ऐसा लगता है कि समूचे राज्य ने अपने नागरिकों के एक हिस्से के खिलाफ खुला युद्ध छेड़ रखा है।

उन्होंने कहा कि कानून के मुताबिक सरकार राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर) से मिले आंकड़ों का इस्तेमाल ‘संदेहास्पद नागरिकों’ की पहचान करने के लिए कर सकती है और बाद में इसका इस्तेमाल एनआरसी के लिए किया जा सकता है। सरकार अपने विभाजनकारी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए एनआरसी और एनपीआर पर ‘‘सफेद झूठ’’ बोल रही है।

स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव ने कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश में आंतक का राज चल रहा है।’’ मेरठ जाने वाले तथ्य अन्वेषण आयोग की सदस्य कविता कृष्णन ने आरोप लगाया कि सीएए विरोधी प्रदर्शनों को कुचलने के लिए पुलिस लोगों पर झूठे मामले दर्ज कर रही है।

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