अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की चीफ क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने कहा है कि अगले साल संभावित वैश्विक मंदी की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता.

उन्होंने कहा कि दुनिया की सभी अर्थव्यवस्थाओं के लिए मंदी का जोखिम अप्रैल के बाद से काफी गहरा हो गया है और इससे संभावित वैश्विक मंदी की आशंका प्रबल हो गई है और यह दुनिया की सभी अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक बड़ा खतरा है.

इस मंदी का शिकार भारत भी होगा. बीते अगस्त में भारत की खुदरा महंगाई दर 7 फीसद रही है.

उन्होंने कहा पूरी दुनिया इस समय महंगाई से जूझ रही हैं. दुनियाभर के सेंट्रल बैंक महंगाई को रोकने के लिए ब्याज दरों में इजाफा कर रहे हैं लेकिन महंगाई  थमने का नाम नहीं ले रही है.

अगर सरकारें महंगाई को रोकने में नाकाम रही तो दुनियाभर की सड़कों पर जनसैलाब आ जाएगा. महंगाई लोगों के सब्र का इम्तेहान ले रही है और उनका धैर्य कभी भी टूट सकता है.

रॉयटर्स को दिए गए एक साक्षात्कार में क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने कहा, “अप्रैल में आखिरी अपडेट के बाद से स्थति कहीं अधिक गंभीर हो गई है और इसके बाद हमारा दृष्टिकोण भी काफी गहरा हो गया है.”

दुनिया भर में बढ़ती मुद्रास्फीति, ब्याज दरों में बढ़ोतरी, चीन के आर्थिक विकास में मंदी और रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि हम सब गहरे संकट में हैं.

हाल के आर्थिक आंकड़ों से पता चला है कि चीन और रूस सहित कुछ बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में दूसरी तिमाही में गिरावट देखी गई है. उन्होंने कहा कि 2022 हमारे लिए कठिन है, लेकिन इस तरह के जोखिम 2023 में और भी अधिक गहरे हो जाएंगे.

आईएमएफ चीफ ने सीएनएन के एक कार्यक्रम में कहा कि दुनियाभर में खानेपीने की चीजों और तेल के दाम में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है. अगर सरकारें महंगाई को रोकने में नाकाम रहीं तो इससे समाज के सबसे कमजोर तबके पर सबसे ज्यादा असर होगा.

उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी ने महंगाई को भड़काने का काम किया और रही सही कसर रूस ने यूक्रेन पर हमला करके पूरी कर दी.

आज महंगाई हमारी सबसे बड़ी दुश्मन है. इस दुश्मन को काबू में नहीं किया गया तो पूरी दुनिया में लोग सड़कों पर उतर जाएंगे.

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