पुलिस की मदद से गाय को खाईं से निकालते ग्रामीण

बीजेपी शासित मध्य प्रदेश के रीवा से गौ क्रूरता की दिल दहलाने वाली तस्वीर सामने आई है। शिवराज सरकार एक तरफ गौशालाओं को लेकर बड़े-बड़े दावे करती, वहीं रीवा में करीब डेढ़ सौ गायों को हजारों फीट गहरी खाई धकेले जाने की खबर है। बताया जा रहा है कि गहरे खाई में गिरने से सैंकड़ों गायों की हड्डियां चकनाचूर हो गई।

इनमें करीब 30 गायों की मौत हो गई। वहीं 50 के करीब गाय जीवन और मौत से जूझ रहीं हैं। सूत्रों के मुताबिक, इस निर्मम घटना को अंजाम देने वाले आरोपियों को बीजेपी के बड़े नेताओं का संरक्षण प्राप्त है। यह पूरा मामला रीवा जिले के गढ़ थाना अंतराल लाल चौकी का है।

बताया जा रहा है कि आरोपियों ने इलाके में घूमने वाले आवारा गोवंशों को इकट्ठा करके 27 सितंबर को रेवा घाटी के नीचे धकेल दिया। स्थानीय लोगों के मुताबिक, हजारों फीट गहरी खाई में गिरने के बाद गायों की हड्डियां चकनाचूर हो गई और दर्जनों गायों ने तो मौके पर ही दम तोड़ दिया था। इस मामलें में पत्रकार अशरफ हुसैन ने सरकार औऱ मीडिया पर सवाल उठाते हुए ट्वीट किया है कि “मध्यप्रदेश के रीवा में सैकड़ों गायों को ग्रामीणों द्वारा गहरी खाई में धकेल दी गई, कई गायों को गहरी चोटें आईं तो कई की मौत हो गई, प्रशासन द्वारा बची गायों को रेस्क्यू किया जा रहा है।

सोचिये अगर इनसब का आरोपी कोई उर्दू नाम वाला होता, तो अबतक नैशनल मीडिया से लेकर हर तरफ क्या होता”। उन्होंने आगे कहा, “खड़ी फसलों को पशुओं द्वारा नुकसान नहीं पहुंचे इस लिए इस तरह की क्रूरता का सहारा लिया गया जो काफी निंदनीय है। ये अमानवीय व्यवहार नाकाबिले बर्दाश्त है। ऐसे लोगों पर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिये। पशुओं के साथ ऐसा सुलूक बहुत भयावह है”।

https://twitter.com/AshrafFem/status/1447176570993405958?s=20

इस मामले पर यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता आनंद जाट ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि “बीजेपी गाय को सिर्फ राजनीतिक तौर पर इस्तेमाल किया जाता है वास्तव में गोवंश के दुखों से उनका कोई लेना देना नहीं है जहां चुनाव होते हैं बस वही पर गाय माता है बाकी जगह पर बीज खाने से इनका कुछ नहीं जाता कमलनाथ सरकार ने प्रदेश में गौ माता को आश्रय दिया था लेकिन आज बीजेपी की शासन में गौमाता सड़कों पर सहारा ढूंढ रही हैं और धक्के खाने पर मजबूर है”।

वहीं, पुलिस अधीक्षक नवनीत भसीन रीवा ने कहा, “लालगांव निवासी कैलाश यादव, धीरेंद्र सिंह, महेंद्र सिंह, बच्चा साकेत और बृजवासी यादव के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। वे फरार हैं और हम उन्हें पकड़ने की कोशिश कर रहे हैं। इस मामले की जांच के लिए जिला कलेक्टर ने एक कमेटी भी बनाई है। जिला कलेक्टर इलियराज टी ने कहा, “हम यह भी पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि इतनी बड़ी संख्या में गायें गांव में कैसे पहुंचीं।”

उन्होंने कहा कि हम आवारा और बचाई गई गायों को भी पास के आश्रयों में स्थानांतरित कर रहे हैं। हालांकि, एक ग्रामीण ने दावा किया कि प्रशासन को प्रतिक्रिया देने में बहुत देर हो चुकी है। गायों के साथ इस क्रूर व्यवहार के बारे में प्रशासन को सूचित करने के बावजूद, किसी ने शुरू में ध्यान नहीं दिया।” बता दें कि एमपी में गौवंश वध प्रतिषेध अधिनियम लागू है, जिसके तहत गौहत्या करने पर आरोपी के खिलाफ 10 साल की सजा और आर्थिक दंड देने का प्रावधान है। इस कानून के बावजूद लोग गौहत्या कर रहे है।

शर्मनाक बात यह है कि रीवा की घटना में इस अधिनियम के बजाए पशु को मामूली चोट पहुंचाने की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। जबकि यह साफ तौर पर गौहत्या का मामला है, जिसकी बीजेपी पैरवी करती है। एक तरफ शिवराज सरकार गौशालाओं को लेकर बड़े-बड़े दावे करती, वहां बड़ा सवाल यह भी है कि इतने आवारा गाय कैसे आएं। यह घटना सरकारी फंड के दुरुपयोग और बंदरबांट की भी पोल खुलती नजर आ रही है।

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