नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) को भले ही दोनों सदनों से पास कर दिया गया हो, लेकिन सड़कों पर इसका व्यापक तौर पर विरोध देखने को मिल रहा है। इस बिल का सबसे ज़्यादा विरोध देश के छात्रों द्वारा किया जा रहा है।
पूर्वोत्तर राज्यों के कई विश्वविद्यालयों से लेकर बंगाल की जाधवपुर यूनिवर्सिटी, उत्तर प्रदेश की अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और दिल्ली की जामिया एवं जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) इस बिल के विरोध में खड़ी हैं। इन यूनिवर्सिटीज़ के छात्र सड़कों पर उतरकर बिल के खिलाफ़ अपनी आवाज़ बुलंद कर रहे हैं। जबकि बिल का विरोध करने के एवज़ इन छात्रों को पुलिस की बर्बरता का शिकार भी होना पड़ रहा है।
बीते कल दिल्ली में जामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों ने बिल के विरोध में एक प्रोटेस्ट मार्च निकाला था। इस मार्च को संसद भवन तक जाना था। लेकिन जैसे ही यूनिवर्सिटी से मार्च निकाला गया पुलिस ने छात्रों को बलपूर्वक वहीं रोक दिया। जब छात्रों ने इसका विरोध किया तो पुलिस ने उनपर बेरहमी से लाठियां भांजनी शुरु कर दी। जिसमें कई छात्र बुरी तरह से घायल हो गए।
इसी तरह असम के छात्र संगठनों को भी पुलिस की बर्बरता का सामना करना पड़ रहा है। पुलिस इन छात्रों को विरोध करने से रोकने के लिए इनपर गोलियां तक बरसाने से परहेज़ नहीं कर रही। ख़बरों की मानें तो अब तक असम में विरोध के दौरान पुलिस फायरिंग में दो लोगों की मौत हो चुकी है।
छात्रों द्वारा किए जा रहे इस विरोध प्रदर्शन की सोशल मीडिया पर तारीफ़ हो रही है। लोग छात्रों की आवाज़ को मज़बूत बनाने की लोगों से अपील कर रहे हैं। वहीं छात्रों के इस विरोध प्रदर्शन का व्हाट्सऐप के कई ग्रुप्स पर मज़ाक बनाया जा रहा है। इन ग्रुप्स पर छात्रों के प्रदर्शन को राजनीति से प्रेरित बेबुनियाद बताया जा रहा है।
पत्रकार नरेंद्र नाथ मिश्रा ने व्हाट्सऐप के ऐसे ही ग्रुप्स पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “बहुत सारे यूनिवर्सिटी में प्रोटेस्ट हो रहे हें। जियो और ह्वाटसअप-यूनिवर्सिटी को छोड़कर”।
बहुत सारे यूनिवर्सिटी में प्रोटेस्ट हो रहे हें। जियो और ह्वाटसअप-यूनिवर्सिटी को छोड़कर :))) https://t.co/IAgHPgeERL
— Narendra nath mishra (@iamnarendranath) December 14, 2019