पूरा देश कोरोना से त्राहिमाम कर रहा है। कोरोना संक्रमित मरीजों के साथ साथ मौतों की संख्या भी बढ़ती जा रही है।

गौरतलब है कि जितने लोगों की मौत बीमारी से नहीं हो रही है, उससे कहीं ज्यादा लोग ऑक्सीजन की कमी से मर रहे हैं। जिस देश की सरकार के लिए अस्पताल और ऑक्सीजन प्लांट से ज्यादा महत्वपूर्ण मूर्ति है, वहां तो ऐसे हालात बनने ही थे।

इस बीच देश भर में केरल के ऑक्सीजन प्लांट की चर्चा हो रही है, जहां से पूरे देश के अस्पतालों को ऑक्सीजन मुहैया कराया जा रहा है, और उसकी सराहना की जा रही है।

देश के जाने माने पत्रकार ओम थानवी ने ट्वीटर पर गुजरात मॉडल और केरल मॉडल की तुलना करते हुए एक ट्वीट किया है और लिखा है कि

गुजरात मॉडल बनाम केरल मॉडल. उन्होंने खड़ी की 3000 करोड़ की मूर्ति और केरल ने महज 56 करोड़ रुपये में बनाया ऑक्सीजन प्लांट, जो दूसरे प्रदेशों के भी काम का आ रहा है”

निश्चित तौर पर कोरोना की इस महामारी में जिस तरह से देश भर में ऑक्सीजन की कमी की वजह से हजारों लोगों की अब तक जान जा चुकी है और लाखों लोेग जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं, वैसे में पूरे देश भर में ऑक्सीजन प्लांट की जरुरत है।

गुजरात मॉडल का सच पर से धीरे धीरे ही सही पर्दा तो हटने लगा है. गुजरात मॉडल आम आदमी की लाशों पर खड़ा पूंजीवाद का सबसे घटिया मॉडल है।

कोरोना पीड़ित मरीजों को ऑक्सीजन की सबसे ज्यादा जरुरत होती है। देश के 12 राज्य ऑक्सीजन की भारी किल्लत झेल रहे हैं।

उनमें गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक और राजस्थान शीर्ष पर हैं. स्थिति इतनी विस्फोटक हो चुकी है कि अब 50 हजार मीट्रिक टन ऑक्सीजन के आयात के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।

ऐसे में एक बड़ा सवाल उठता है कि क्या गुजरात मॉडल एक ब्रेनवॉश मॉडल है, जहां आम आदमी की परेशानियों और तकलीफों को सुनने, समझने और दूर करने की कोई गुंजाइश नहीं है।

सिर्फ और सिर्फ नफरत फैलाकर, ध्रुवीकरण कर वोट बंटोरना और चुनाव जीतना ही गुजरात मॉडल की हकीकत और उद्देश्य मात्र है।

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