सीमापुरी में 20 दिसंबर को संशोधित नागरिकता कानून (CAA) के विरोध में हुए प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने 12 लोगों को गिरफ्तार किया था। जिन्हें कड़कड़डूमा कोर्ट से 20 हज़ार रुपये के निजी मुचलके पर ज़मानत मिल गई है।

कोर्ट ने इन लोगों को ज़मानत देते हुए कुछ अजीबो-गरीब शर्तें भी लगाई हैं, जिनको लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। दरअसल, कोर्ट ने कई शर्तों के साथ एक ये शर्त भी रखी है कि सभी आरोपी 19 जनवरी को पुलिस स्टेशन जाएंगे, जहां एसएचओ CAA को लेकर उनकी आशंकाओं को दूर करने की कोशिश करेंगे।

इसके साथ ही कई और शर्तें भी रखी गई हैं, जो आमतौर पर ज़मानत पर रिहा सभी आरोपियों के समक्ष रखी जाती हैं। कोर्ट ने कहा है कि सभी आरोपी जांच और सबूत से जुड़े किसी भी गवाह या दस्तावेज के साथ छेड़छाड़ नहीं करेंगे। जांच में पूरा सहयोग करेंगे और जब भी पुलिस अधिकारी बुलाएंगे उनके सामने पेश होंगे।

कोर्ट ने सभी आरोपियों को ये हिदायत भी दी है कि पब्लिक प्लेस में शांति भंग करने की कोई कोशिश नहीं करेंगे। इसके अलावा जांच अधिकारी को अपना पता और मोबाइल नंबर उपलब्ध कराएंगे। कोर्ट ने 19 जनवरी को आरोपियों को थाने में पेश होने के भी निर्देश दिए हैं।

कोर्ट द्वारा रखी गई सभी शर्तों में सबसे अजीब CAA को लेकर संदेह को दूर करने वाली शर्त है। जिसको लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। पत्रकार फेय डिसूज़ा ने कोर्ट की शर्त को ट्विटर पर शेयर करते हुए पूछा, “ये पुलिस की जॉब कैसे हो गई”।

जिस कानून को लेकर देशभर में चर्चा चल रही है कि वो संवैधानिक रूप से सही है या नहीं। कानून की वैधता को लेकर भी मामला सुप्रीम कोर्ट में है। ऐसे में क्या पुलिस को अधिकार है कि वो उसे सही मान ले और इसका विरोध कर रहे लोगों के कथित संदेह को सरकार के प्रवक्ता के तौर पर दूर करे?

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