राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के 28वें स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिना किसी का नाम लिए विरोधियों पर निशाना साधा है।
उन्होंने कहा है कि कहा कि कि मानवाधिकार के नाम पर कुछ लोग देश की छवि खराब करने की कोशिश कर रहे है।
इसके जवाब में लोगों ने पीएम मोदी के अंदाज में ही उन पर पलटवार किया है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के 28वें स्थापना दिवस पर साक्षी जोशी ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए ट्वीट किया है कि “ओह, इस देश में NHRC सिर्फ बंगाल के लिए बनाया गया है”!
ओह, इस देश में NHRC सिर्फ बंगाल के लिए बनाया गया है! 👇🏽 https://t.co/eoVgMjgU81
— Sakshi Joshi (@sakshijoshii) October 12, 2021
इस पर एक अन्य ट्वीटर यूजर ‘फोलोवर ऑफ़ हिन्दुइस्म एंड नॉट हिंदुत्व’ ने प्रतिक्रिया देते हुए लिखा है कि “बंगाल के तथा-कथित चुनाव परवर्ती हिंसा में तुरंत तत्पर होकर पहुँचने वाली NHRC की टीम क्या अभी तक लखीमपुर खीरी पहुंची या नहीं ??”
गौरतलब है कि इसके साथ ही पीएम मोदी ने बिना नाम लिए अपने विरोधियों पर निशाना साधते हुए कहा कि हाल के वर्षों में मानवाधिकार की व्याख्या कुछ लोग अपने-अपने तरीके से, अपने-अपने हितों को देखकर करने लगे हैं।
एक ही प्रकार की किसी घटना में कुछ लोगों को मानवाधिकार का हनन दिखता है और वैसी ही किसी दूसरी घटना में उन्हीं लोगों को मानवाधिकार का हनन नहीं दिखता।
इस तरह का सलेक्टिव व्यवहार, लोकतंत्र के लिए भी उतना ही नुकसानदायक होता है। पीएम ने कहा कि मानवाधिकार का बहुत ज्यादा हनन तब होता है जब उसे राजनीतिक रंग से देखा जाता है।
इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ के मूल मंत्र पर चल रहा है। ये एक तरह से मानव अधिकार को सुनिश्चित करने की ही मूल भावना है।
उन्होंने कहा कि बीते वर्षों में देश ने अलग-अलग वर्गों में, अलग-अलग स्तर पर हो रहे अन्याय को भी दूर करने का प्रयास किया है।
दशकों से मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक के खिलाफ कानून की मांग कर रही थीं। हमने ट्रिपल तलाक के खिलाफ कानून बनाकर, मुस्लिम महिलाओं को नया अधिकार दिया है।
बता दें कि मानवाधिकार संरक्षण कानून, 1993 के तहत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की स्थापना 12 अक्टूबर 1993 को मानवाधिकारों की रक्षा और उन्हें बढ़ावा देने के उद्देश्य के साथ की गई थी।
एनएचआरसी मानवाधिकारों के उल्लंघन का संज्ञान लेता है, जांच करता है और सार्वजनिक प्राधिकारों द्वारा पीड़ितों को दिए जाने के लिए मुआवजे की सिफारिश करता है।
हाल ही में हुए लखीमपुर खीरी कांड के बाद से लोग राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग पर सवाल उठा रहे है कि वह सिर्फ केन्द्र सरकार के इशारें पर काम करती है।