इस साल भारत की अर्थव्यवस्था पर गहरा संकट गहराया हुआ है। बीते कुछ वक़्त में ही गिर रही अर्थव्यवस्था ने एक के बाद एक झटके दिए हैं।
अब खबर सामने आ रही है कि भारत की जीडीपी में चालू वित्तीय वर्ष की दूसरी तिमाही में 7.5 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है। इससे पहले पहली तिमाही में जीडीपी में 23.9 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी।
गौरतलब है कि अगर लगातार दो तिमाहियों में जीडीपी नीचे गिरती है तो उसे अर्थव्यवस्था में मंदी का दौर माना जाता है।
जहाँ एक तरफ मोदी सरकार गिर रही जीडीपी दर को लेकर निशाने पर है। वहीँ दूसरी तरफ किसानों ने भी सरकार के खिलाफ आंदोलन चला रखा है।
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अनुसार, जहाँ एक तरफ कई सेक्टर्स में जीडीपी की दर नीचे गई है। वहीँ कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 3.4 फीसद रही है। बताया जा रहा है कि इसके 3.9 फीसद रहने का अनुमान लगाया गया था।
गौरतलब है कि किसानों को रोकने के लिए भाजपा नेता कई तरह के विवादित बयान दे रहे हैं। कभी किसानों को गुंडा करार दिया जा रहा है तो कभी कट्टरपंथी कहा जा रहा है।
इस मामले पत्रकार साक्षी जोशी ने भाजपा पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा है कि “जब ये किसान कृषि जीडीपी +3.4% तक पहुँचा गए थे तब तो नहीं कहा कांग्रेसी हो, खालिस्तानी हो, आतंकी हो वग़ैरह वग़ैरह।”
जब ये किसान कृषि जीडीपी +3.4% तक पहुँचा गए थे तब तो नहीं कहा कांग्रेसी हो, खालिस्तानी हो , आतंकी हो वग़ैरह वग़ैरह
— Sakshi Joshi (@sakshijoshii) November 27, 2020
आपको बता दें कि कृषि कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों की मांग है कि मोदी सरकार इस कानून को वापिस ले। इस बड़ी संख्या में किसान दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर ही डटे हुए हैं।
दरअसल दिल्ली पुलिस ने किसानों को बुराड़ी स्थित निरंकारी ग्राउंड जाने की इजाजत दी थी। लेकिन वहां जाने से इंकार कर दिया है। किसानों का कहना है कि सुविधाएं न होने के चलते वाहन नहीं बल्कि रामलीला मैदान जाना चाहते हैं।