त्रिपुरा में लगातार दो हफ्तों तक चली सांप्रदायिक हिंसा को रोकने में नाकाम रही भाजपा सरकार अब सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और वकीलों के खिलाफ सख्त हो गई है।

माना जा रहा है कि सरकार से सवाल करने वाले पत्रकारों पर, पीड़ितों के पक्ष की बात करने वाले वकीलों पर और सांप्रदायिक हिंसा का विरोध करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं पर जिस मुस्तैदी से एक्शन लिया जा रहा है वैसी मुस्तैदी अगर दंगाइयों के खिलाफ दिखाई गई होती तो उत्तर पूर्व के इस अहम राज्य की इतनी दुर्गति न होती।

पहले दो मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और वकीलों अंसारी इंदौरी और मुकेश को ऐसी नोटिस दी गई फिर पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी टारगेट किया गया। खबरों के मुताबिक, अब तक 100 से ज्यादा लोगों को नोटिस दी जा चुकी है।

इसी तरह की एक नोटिस पाने का दावा करने वाले पत्रकार श्याम मीरा सिंह ने फेसबुक पर लिखा-

“त्रिपुरा में चल रही घटनाओं को लेकर, मेरे तीन शब्द के एक ट्वीट पर त्रिपुरा पुलिस ने मुझ पर UAPA के तहत मुक़दमा दर्ज किया है, त्रिपुरा पुलिस की FIR कॉपी मुझे मिल गई है, पुलिस ने एक दूसरे नोटिस में मेरे एक ट्वीट का ज़िक्र किया है. ट्वीट था- Tripura Is Burning”. त्रिपुरा की भाजपा सरकार ने मेरे तीन शब्दों को ही आधार बनाकर UAPA लगा दिया है…”

और जानकारी देते हुए पत्रकार श्याम मीरा सिंह एक अन्य फेसबुक पोस्ट में लिखते हैं-
“UAPA अकेले मुझपर नहीं लगा है, मेरे अलावा 101 लोगों पर भी लगा है, वे सब के सब मुस्लिम है. ये दिखाता है भारत सरकार अपने अल्पसंख्यकों के साथ कैसा बर्ताव कर रही है. ये लड़ाई मेरी नहीं, न मेरे अधिकारों को बचाने की है बल्कि ये लड़ाई उन निर्दोष बच्चों को बचाने की है जिन्हें शायद ही कोई लीगल मदद मिलेगी. “

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here