नागरिकता संशोधन बिल (CAB) का विरोध बड़े पैमाने पर हो रहा है। अब छात्र नेता कन्हैया कुमार ने नागरिकता संशोधन बिल का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि, “जो आज़ादी के आंदोलन में गद्दारी करते थे, वे अब नागरिकता के बहाने गांधी, अम्बेडकर, भगत सिंह के सपनों के भारत की जगह जिन्ना और सावरकर के अरमानों वाला देश बनाने की कोशिश कर रहे हैं।”
कन्हैया ने सोशल मीडिया पर अपनी बात रखते हुए नागरिकता संशोधन बिल के विरोध में संघर्ष करने की बात कही है। उन्होंने कहा, “हम रामप्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला की दोस्ती वाले देश को कायम रखने के लिए पुरजोर संघर्ष करेंगे।”
जो आज़ादी के आंदोलन में गद्दारी कर रहे थे, वे अब नागरिकता के बहाने गांधी, अम्बेडकर, भगत सिंह के सपनों के भारत की जगह जिन्ना और सावरकर के अरमानों वाला देश बनाने की कोशिश कर रहे हैं। हम रामप्रसाद बिस्मिल और अशफ़ाक़ उल्ला की दोस्ती वाले देश को कायम रखने के लिए पुरज़ोर संघर्ष करेंगे।
— Kanhaiya Kumar (@kanhaiyakumar) December 10, 2019
भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ जबरदस्त विरोध प्रदर्शनों हो रहे हैं। असम में कई जगहों पर आगजनी की घटनाएं सामने आ रही हैं। बता दें कि सरकार कह रही है कि पूर्वोत्तर राज्यों के लोग इस बिल का समर्थन कर रहे हैं। वहीं सरकार ने कई राज्यों में 48 घंटे के लिए इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी हैं।
बता दें कि कन्हैया कुमार के अलावा सोमवार को बिल को वापस लिए जाने की मांग करने वालों में तीन प्रमुख शोध संस्थान भी आए थे। इनमें टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फनडामेंटल रिसर्च के संदीप त्रिवेदी, सैद्धांतिक विज्ञान के लिए अंतर्राष्ट्रीय केंद्र के राजेश गोपकुमार और सैद्धांतिक भौतिकी के लिए अंतर्राष्ट्रीय केंद्र के आतिश दाभोलकर शामिल हैं।
इनके साथ ही बिल का विरोध करने वाले स्कॉलर्स की सूची में अकादमिक जोया हसन और इतिहासकार हरबंस मुखिया के नाम भी शामिल हैं। इन लोगों ने एक बयान जारी कर कहा है कि ये बिल धर्म के आधार पर लोगों को नागरिकता प्रदान करता है, जो कि बेहद ख़तरनाक है। ये बिल पूरी तरह से मुस्लिम विरोधी है।
क्या है नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 (CAB)?
नागरिक संशोधन विधेयक 2019 के तहत सिटिजनशिप एक्ट 1955 में बदलाव का प्रस्ताव है। इस बिल में पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर उत्पीड़न के शिकार गैर मुस्लिम शरणार्थियों (जैसे हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों) को आसानी से भारत की नागरिकता दिए जाने का प्रावधान है।
अभी भारत की नागरिकता के लिए यहां कम से कम 11 सालों तक रहना जरूरी है। लेकिन इस बिल के पास होने के बाद पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं अफगानिस्तान से आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारत की नागरिकता लेने के लिए 6 साल तक ही भारत में रहना होगा। लेकिन इस बिल में मुसलमानों के लिए ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।