देश के अलग अलग हिस्से से लाखों किसान आज राजधानी दिल्ली पहुंचे हैं। तीन महीने में तीसरी बार किसान सत्ता से टकराने को मजबूर हुए हैं।

200 से ज्यादा किसान संगठन इस आंदोलन में शामिल हुए हैं। तमाम छात्र संगठनों, मजदूर संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ता किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं।

वामपंथी नेता कन्हैया कुमार ने भी किसानों के इस आंदोलन को अपना समर्थन दिया है। कन्हैया कुमार ने लिखा है

‘आज देश के किसान अपनी बात संसद तक पहुँचाने के लिए दिल्ली की सड़कों पर निकले हैं, लेकिन अंबानी-अडानी के हवाई जहाजों में घूमने वाले लोग जनता की सेवा के नाम पर मेवा खाने में लगे हुए हैं। आइए, हम खेत को किसानों की चिता बनने से रोकने के लिए अपनी आवाज़ बुलंद करें।’

बता दें कि लाखों की संख्या में आए इन किसानों का आंदोलन लगातार दो दिन 29 और 30 नवंबर को चलेगा। इस बार किसानों की सिर्फ दो मांग है।

पहली मांग – कर्ज से पूरी तरह मुक्ति

दूसरी मांग – फसलों की लागत का डेढ़ गुना मुआवजा

देश के अलग अगल हिस्से से आए किसान 29 नवंबर शाम पांच बजे तक रामलीला मैदान में इकट्ठा होंगे। और 30 नवंबर की सुबह संसद की ओर मार्च करेंगे।

दिल्ली की चार ऐसी जगहों को चुना गया है जहां से किसान रामलीला मैदान की तरफ बढ़ रहे हैं। दक्षिण भारत और महाराष्ट्र से आए किसान निजामुद्दीन के पास स्थित गुरूद्वारा श्री बाला साहिब से रामलीला मैदान की तरफ जा रहे हैं। हरियाणा और पांजाब से आए किसान दिल्ली के बिजवासन से रामलीला मैदान की तरफ बढ़ रहे हैं।

बिहार और यूपी से आए किसान आनंद विहार से यात्रा की शुरुआत कर रहे हैं। नार्थ और उत्तराखण्ड से आए आंदोलनकारी किसान मजनू के टिला से रामलीला मैदान की तरफ बढ़ रहे हैं। 200 से ज्यादा किसान संगठन इस आंदोलन में शामिल हुए हैं।

किसान नेता लगातार मीडिया से बातचीत में बता रहे हैं कि अगर इसबार केंद्र की मोदी सरकार ने उनकी बात नहीं मानी तो 2019 में सत्ता जाना तय है।

अब सवाल उठता कि क्या किसानों की इस धमकी का असर मोदी सरकार पर पड़ेगा? या बीजेपी को ये भरोसा है कि वो राम मंदिर और हिंदू-मुस्लिम का खेल खेलकर दोबारा सत्ता हासिल करने में कामयाब रहेगी?

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