भारत प्रशासित कश्मीर के पुलवामा में जो चरमपंथी हमला हुआ क्या उसके लिए आम कश्मीरी नागरिक जिम्मेदार हैं? क्या उसके लिए देश का आम मुसलमान जिम्मेदार है?

अगर नहीं, तो फिर देहरादून में पढ़ाई कर रहे कश्मीरी छात्रों पर हमला क्यों किया जा रहा है?

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पुलवामा हमले के बाद से देहरादून में पढ़ाई कर रहे कश्मीरी छात्रों का उत्पीड़न किया जा रहा है, जान से मारने की धमकी दी जा रही है।

जिन घरों में ये कश्मीरी छात्र रहते हैं उनपर पर हमला करने की कोशिश की जा रही है। ऐसे में मकान मालिक ने अपने घर पर हमला होने के डर से मकान खाली करने के लिये कह दिया है।

हालांकि देहरादून पुलिस ने कश्मीरी छात्रों की सुरक्षा के लिये सभी जरूरी इंतजाम करने का भरोसा दिया है। इस मामले की वजह से कश्मीर पुलिस भी लागातार देहरादून पुलिस से सम्पर्क बनाए हुए है।

एक और बात… पुलवामा चरमपंथी हमले में मारे गए 44 जवानों में से एक जवान कश्मीरी मुसलमान भी है। नाम- नसीर अहमद, जो जम्मु-कश्मीर के राजौरी के रहने वाले थे। हालांकि इस उदाहरण की कोई जरूरत नहीं थी। लेकिन मीडिया और दक्षिणपंथी राजनीति ने जो माहौल बना दिया है उसे देखते हुए ये याद दिलाना पड़ रहा है।

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