हिंदी के प्रसिद्ध लेखक और व्यंगकार हरिशंकर परसाई कहते थे, ”अंधभक्त होने के लिए प्रचंड मूर्ख होना अनिवार्य शर्त है।” परसाई के इस सूत्र वाक्य से आज भी कई सवाल हल किए जा सकते हैं। तो चलिए घटना के रूप में उभरे एक नए सवाल को परसाई के इसी सूत्र से सुलझाते हैं।

मामला क्या है ?

मामला मध्य प्रदेश के विदिशा जिले का है। सोमवार को गंज बसोदा स्थित सेंट जोसेफ स्‍कूल में 12वीं की परीक्षा चल रही थी। तभी हिंदू दक्षिणपंथी उग्रवादी समूह बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के हमालवरों ने स्‍कूल का घेराव कर पथराव शुरू कर दिया। खिड़की पर लगे कांच टूट गये।

हमलावरों ने स्कूल परिसर में खड़ी गाड़ियों को भी निशाना बनाया। नारेबाजी के साथ ये पत्थरबाजी करीब दो घंटे तक चलती रही।

जब स्‍कूल पर पत्‍थरबाजी हो रही थी उस समय अंदर 12वीं कक्षा के छात्र बोर्ड की परीक्षा दे रहे थे। सुरक्षा के मद्देनजर स्कूल प्रशासन ने सामने की कक्षाओं में परीक्षा दे रहे बच्‍चों को पीछे के कमरों में बैठाया।

हिन्दूवादी हमलावरों का आरोप है कि स्कूल में गैर-कानूनी तरीके से धर्मांतरण कराया जा रहा है। लेकिन स्कूल के प्रधानाचार्य ब्रदर एंथोनी ने इससे साफ इंकार किया है।

उन्होंने हिन्दूवादी हमलावरों के आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि, 31 अक्‍टूबर को बच्‍चों के धर्मांतरण की बात कही जा रही है जबकि उस दिन तो रविवार था। साथ ही शिकायत में दर्ज नामों में से कोई भी छात्र हमारे स्कूल का नहीं है।

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प्रधानाचार्य ने पुलिस पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं करने का भी आरोप लगाया है। दरअसल ब्रदर एंथोनी को लोकल मीडिया से एक दिन पहले ही हमले की सूचना मिल गई थी,

जिसके बाद उन्होंने स्थानीय पुलिस और राज्य प्रशासन को सूचना देते हुए सुरक्षा की मांग थी। लेकिन पुलिस हमला होने का बाद पहुंची।

संघ के तीन दुश्मन!

भारत में ईसाई मिशनरी स्कूलों पर हमला नयी बात नहीं है। लेकिन हाल में ऐसे मामलों की संख्या बढ़ी है। दरअसल भाजपा की पैरेंट ऑर्गनाइजेशन आरएसएस के तीन आइडेंटिफाईड दुश्मन हैं- मुस्लिम, ईसाई और वामपंथी।

जहां पावर में आते हैं वहां इन तीन समूहों पर हमला जरूर होता है। 2014 के बाद से मुसलमानों पर सत्ता समर्थित हमले आम हो चुके हैं। वामपंथियों को अगल-अलग मामलों में फंसाकर लगातार जेल में ठूंसा जा रहा है।

अब ईसाइयों को निशाना बनाया जा रहा है। विदिशा की घटना से पहले दिल्ले-एनसीआर में चर्च पर हमले की खबर आयी थी। वहां चर्च पर धर्मपरिवर्तन कराने का आरोप लगाकर तोड़फोड़ किया गया था।

मूर्ख हैं हिन्दूवादी हमलावर

ऐसा नहीं है कि मिशनरी स्कूलों में कुछ गलत नहीं होता। विश्वभर में मिशनरी स्कूलों के घिनौने अपराधों का इतिहास रहा है। लेकिन हिंदूवादी अंधभक्त जिस सामान्यीकरण के तहत हमला कर रहे हैं वो मूर्खता हैं।

भारत में आधुनिक शिक्षा की अलख मिशनरी स्कूलों ने ही जगायी थी। ज्योतिराव फूले से लकर डॉ आम्बेडकर तक को अच्छी शिक्षा मिशनरी स्कूलों की वजह से ही मिली।

अंधभक्त हमलावर जिस पॉलिटिकल बैकिंग की भरोसे हिंसा कर रहे हैं, उन्हें जानना चाहिए कि उनके ज्यादातर बड़े नेता ईसाई मिशनरियों के स्‍कूल से पढ़े हैं।

  1. लाल कृष्ण आडवाणी

कभी हिंदुत्व के सबसे बड़े अलंबरदार रहे लाल कृष्ण आडवाणी की स्कूलिंग कराची के विख्यात सेंट पैट्रिक हाईस्कूल में हुई है। स्कूल की वेबसाइट पर आज भी लाल कृष्ण आडवाणी का नाम राजनीतिज्ञों की श्रेणी में दर्ज है।

2. अरुण जेटली

अपनी शानदार अंग्रेजी और डिप्लोमैटिक भाषण के लिए आज भी याद किए जाने वाले दिवंग्त भाजपा नेता अरुण जेटली की प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली के सेंट ज़ेवियर्स स्कूल में हुई थी।

3. पीयूष गोयल

केंद्रिय मंत्री पीयूष गोयल की स्कूलिंग मुम्बई के डॉन बॉस्को में हुई है।

4. जेपी नड्डा

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की शुरुआती पढ़ाई पटना के सेंट ज़ेवियर्स में हुई है।

5. स्मृति ईरानी

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की पढ़ाई दिल्ली स्थित होली चाइल्ड ऑक्सीलियम स्कूल में हुई है।

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