बिहार के मुंगेर में एबीपी न्यूज़ के एंकर अनुराग मुस्कान को राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को ‘ललुआ’ कह संबोधित किया।

ABP न्यूज़ चैनल की ओर से डिबेट आयोजित की गयी थी। मुंगेर में आयोजित इस डिबेट में तमाम दलों के नेता और समर्थक मौजूद थे। इस दौरान डिबेट को होस्ट कर रहे एंकर ‘अनुराग मुस्कान’ भावनाओं में इस कदर बह गए कि डिबेट के दौरान ही लालू यादव को ललुआ कह डाला।

बता दें कि ये वही अनुराग मुस्कान हैं जो लगातार पीएम मोदी का गुणगान और विपक्षी नेताओं की आलोचना की तह में जाकर खिंचाई करने वाले हैं। लालू को ललुआ कहना कोई इतेफाक नहीं है बल्कि ये मनुदवादी मीडिया का जातीय चरित्र का हिस्सा है। राजद के मुताबिक, अनुराग मुस्कान का लालू को ललुआ कहना उनकी जातिवादी मानसिकता को दर्शता है।

क्या लालू यादव को ललुआ कहने वाला मनु मीडिया मोदी को मोदीया कह सकता है? क्यों नहीं कह सकता? और लालू यादव को क्यों कह सकता है?

वैसे ध्यान देने वाली बात ये भी है कि जो मीडिया लालू को ललुआ कह रहा है वही मीडिया बिहार के मुख्यमंत्री को नीतीश ‘जी’ कहकर पुकारता है। क्या नीतीश कुमार को ये सम्मान बीजेपी की सहयोगी पार्टी होने की वजह से मिल रहा है?

क्या जाति के अहंकार में चूर मनु मीडिया के पत्रकार जानते हैं कि ये वही लालू प्रसाद यादव हैं जिन्होंने बिहार दलितों, पिछड़ो, पसमांदाओं बराबरी का हक दिलाया। इन मजलूमों को स्वर्ग तो नहीं दे पाए लेकिन स्वर जरूर दिया।

नीतीश कुमार ने अपनी छवी भले ही कथित सुशासन और विकास बाबू की गढ़ी हो लेकिन क्या मीडिया लालू यादव के किए विकास को जनता है। लालू यादव ने अपने 15 साल के कार्यकाल के दौरान बिहार को 7 विश्वविद्यालय दिए।

क्या नीतीश कुमार ने 7 विश्वविद्यालय खोले? नहीं। हालांकि अन्य क्षेत्रों में विकास जरूर किया लेकिन उस विकास के साथ कई विनाश भी नत्थी हैं। ‘मुज्जफरपुर शेल्टर होम’ में कथित सरकारी संरक्षण में हुए बच्चियों के बलात्कार को बिहार कभी नहीं भूल सकता। ये बिहार पर एक कलंक है।

 

 

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