2019 लोकसभा चुनाव के परिणाम लगभग आ चुके हैं और अब यह तय हो गया है कि भारतीय जनता पार्टी ने बड़ी जीत दर्ज की है।
बहुमत का आंकड़ा NDA ने तो पार किया ही है, अकेले भारतीय जनता पार्टी भी इस आंकड़े को पार करते हुए दिख रही है ।
एक तरफ भारतीय जनता पार्टी के समर्थक इस पर जश्न मना रहे हैं तो दूसरी तरफ तमाम विपक्षी दल के लोग असमंजस की स्थिति में हैं कि वह क्या करें।
चुनावी राजनीति में हार-जीत तो होती रहती है ये सभी को स्वीकार ना पड़ता है लेकिन विपक्षी दल तब इसे कैसे स्वीकार लें जब परिणाम अप्रत्याशित आया हो।
भले ही बीजेपी और एनडीए के लिए 2014 से बड़ी जीत हो, तमाम सामाजिक समीकरणों और जमीन पर बने माहौल के उलट यूपी और बिहार में बीजेपी को शानदार जीत मिली हो मगर इनसब पर सवाल उठ रहे हैं, संदेह हो रहा है।
यहां पर न सिर्फ महागठबंधन का माहौल था बल्कि बड़ा जनाधार भी था। उत्तर प्रदेश में तो आखिरी पल तक महागठबंधन भाजपा पर हावी दिख रहा था इसलिए महागठबंधन के नेताओं द्वारा हार स्वीकारना बेहद मुश्किल हो रहा है और तमाम आशंका जताई जा रही है कि कुछ खेल तो नहीं हुआ है
इन्हीं आशंकाओं के बीच आए परिणाम पर प्रतिक्रिया देते हुए बसपा प्रमुख मायावती ने न सिर्फ EVM पर बल्कि पूरी मशीनरी पर सवाल उठाए हैं
तमाम विपक्षी दल इस तरह से एकतरफा मत पर सवाल उठा रहे हैं और ईवीएम से लेकर समुचित सिस्टम में हेर-फेर की आशंका जता रहे हैं
लेकिन यह बहुत मायने नहीं रखते हैं क्योंकि आज के दौर में देश का माहौल ऐसा बन चुका है कि सवाल करना गुनाह करने जैसा हो गया है
पहले तो कम से कम पहले कम से कम सवाल उठाने वालों में मीडिया शामिल होता था लेकिन अब मीडिया ही हमलावर हो जाता है।
इसलिए बेहद मुश्किल हो गया है इस दौर में समझना, पहचानना और यथार्थ का पता लगाना.
अब भारतीय जनता पार्टी की सच में लहर थी या फिर सिस्टम और मशीनों पर कब्जा पाकर चुनाव जीत लिया है यह जानते हुए कि उस पर कोई सवाल नहीं कर करता , ये खतरनाक है