लॉकडाउन में बेरोज़गारी की मार झेल रहे प्रवासी मज़दूरों का पलायन लगातार जारी है। पलायन के दौरान उन्हें भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सरकार की बदइंतेज़ामी के चलते कहीं मज़दूर हादसों का शिकार हो रहे हैं, तो कहीं उन्हें भूखे – प्यासे रहकर ट्रेन का इंतज़ार करना पड़ रहा है।

मुंबई के सीएसटी स्टेशन पर घर जाने की उम्मीद में बड़ी तादाद में प्रवासी मज़दूर इकठ्ठा हुए हैं। इन लोगों को पता चला था कि यहां से श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही हैं, जो उन्हें उनके घर तक पहुंचा देंगी। इसी उम्मीद में बड़ी तादाद में मज़दूर अपना किराए का मकान छोड़कर अपना सारा समान बांधकर स्टेशन पहुंच गए।

लेकिन जब वो स्टेशन पहुंचे तो पता चला यहां ट्रेन नहीं चल रही। ट्रेन ना चलाए जाने से मज़दूर काफ़ी हताश हैं, लेकिन वो इसके बावजूद स्टेशन पर इस इंतेज़ार में बैठे हैं कि शायद सरकार को उनपर तरस आ जाए और वो उनके लिए ट्रेनों कि व्यवस्था कर दे। मज़दूर स्टेशन पर लंबे समय से भूखे प्यासे ही बैठे हैं। उनकी गोद में बच्चे भी हैं। जो भूख से परेशान होकर उनकी गोद में सो गए हैं।

ऐसे ही मज़दूरों से एनडीटीवी की रिपोर्टर पूर्वा चिटनिस ने बातचीत की। बच्चे को गोद में लिए बैठी एक महिला ने रिपोर्टर को बताया कि वो सुबह पांच बजे से ट्रेन का इंतजार कर रही है। उस अपने घर पटना जाना है। उसके पास अब पानी भी नहीं बचा है जिससे वो बच्चे का दूध बना सके। महिला ने कहा कि उसे बताया गया था कि ट्रेन यहां से चलेगी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। वो सुबह से बिना खाना पानी के यहां बैठी है। अगर बच्चा उठ गया तो उसके पास बच्चे को देने के लिए भी खाना नहीं है।

वहां बैठी एक अन्य महिला से जब रिपोर्टर ने पूछा कि आज का क्या बताया जा रहा है? इसपर महिला ने बताया की कहा जा रहा कि तुम लोग घर वापस जाओ, ट्रेन नहीं चलेगी। महिला ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि वो घर कैसे वापस जाए, जबकि उसने घर छोड़ दिया है और उसके पास पैसा भी नहीं है।

वहीं एक मज़दूर ने रिपोर्टर को बताया कि वो पिछले 5-6 दिनों से लगातार स्टेशन के चक्कर काट रहा है। उसे बताया जाता है कि ट्रेन चलेगी, लेकिन वो जब वहां पहुंचता है तो पता चलता है कि ट्रेन कैंसल कर दी गई। उसके पास पैसे भी नहीं हैं और उसने अपना किराए का मकान छोड़ दिया है।

इसके साथ ही रिपोर्टर ने एक अन्य मज़दूर से भी बात की जिसकी गोद में एक बच्ची सो रही थी। मज़दूर ने बताया कि उसके पास घर जाने के सिवा कोई विकल्प नहीं। उसके पास खाने तक के पैसे नहीं हैं। वो घर जाने के लिए हर तरह की परेशानी को झेलने के लिए तैयार है। उसने बताया कि उसे स्टेशन पर उसे कुछ भी खाने को नहीं मिला है, उसकी बच्ची भी भूख से सो गई है।

बता दें कि केंद्र की मोदी सरकार ने प्रवासी मज़दूरों के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई हैं। ये ट्रेनें कई राज्यों में चल रही हैं और मज़दूरों को देर सवेर ही सही लेकिन उनके घरों तक पहुंचा रही हैं। लेकिन महाराष्ट्र में अब केंद्र और राज्य सरकार के टकराव के बाद ट्रेनों के परिचालन में दिक्कत आ रही है।

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