केंद्र की मोदी सरकार विज्ञापनों पर खर्च किए जाने वाले पैसों को लेकर एक बार फिर विपक्षियों के निशाने पर आ गई है।
दरअसल, एक आरटीआई के तहत मिली जानकारी से इस बात का खुलासा हुआ है कि केंद्र सरकार ने पिछले साल अपने प्रचार पर रोज़ाना करीब 2 करोड़ रुपये खर्च किए।
सरकार ने 2019-2020 के बीच अखबार, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और बैनर आदि के ज़रिये विज्ञापन देने के लिए 713.20 करोड़ रुपए खर्च किए थे। जो कि रोजाना के औसत से लगभग दो करोड़ रुपये होते हैं।
इस बात की जानकारी सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन आने वाले ब्यूरो ऑफ आउटरीच एंड कम्यूनिकेशन ने मुंबई के रहने वाले आरटीआई एक्टिविस्ट जतिन देसाई द्वारा दायर की गई आरटीआई के जवाब में दी।
ब्यूरो ने बताया कि कुल 713.20 करोड़ रुपये में से 295.05 करोड़ रुपये प्रिंट, 317.05 करोड़ रुपये इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और 101.10 करोड़ रुपये बैनर आदि में खर्च किए गए हैं।
हालांकि इसमें ये नहीं बताया गया कि सरकार ने विदेशी मीडिया में विज्ञापन देने में कितने रुपये खर्च किए।
विज्ञापन पर खर्च की गई राशि के आंकड़े सामने आने के बाद कांग्रेस ने केंद्र की मोदी सरकार पर ज़ोरदार हमला बोला है।
कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कहा कि इस राशि को कोरोना संकट के समय में इस्तेमाल कर लोगों की मदद की जा सकती थी, लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया। इससे पता चलता है कि सरकार के लिए ज़रूरी क्या है।
उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “करदाताओं के जिस 713 करोड़ रुपये का उपयोग सरकार ने चेहरा चमकाने के लिए किया, उसी राशि से देश के 100,000 परिवारों को कोरोना आपदा के दौरान प्रति माह 6,000 रुपये की आर्थिक मदद कर, उनके घरों के चूल्हे जलाये जा सकते थे। ज़्यादा ज़रूरी क्या”?
ग़ौरतलब है कि अपने कामों को लेकर सवालों के घेरे में रहने वाली मोदी सरकार विज्ञापनों पर ज़रूरत से ज़्यादा खर्च किए जाने के लिए जानी जाती है।
न्यूज़ वेबसाइट द वायर ने 2018 में अपनी एक रिपोर्ट में इस बात का ख़ुलासा किया था कि मोदी सरकार ने यूपीए के मुकाबले विज्ञापन पर दोगुनी राशि खर्च की है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से बताया गया था कि मोदी सरकार ने साल 2014 से लेकर 7 दिसंबर 2018 तक में सरकारी योजनाओं के प्रचार प्रसार में कुल 5245.73 करोड़ रुपये की राशि खर्च की। यह यूपीए सरकार के दस साल में खर्च हुए कुल 5,040 करोड़ रुपये की राशि से भी ज्यादा थी।
करदाताओं के जिस 713 करोड़ रुपये का उपयोग सरकार ने चेहरा चमकाने के लिए किया, उसी राशि से देश के 100,000 परिवारों को कोरोना आपदा के दौरान प्रति माह 6,000 रुपये की आर्थिक मदद कर, उनके घरों के चूल्हे जलाये जा सकते थे।
ज़्यादा ज़रूरी क्या ? https://t.co/rL8FQdCBm9
— Prof. Gourav Vallabh (@GouravVallabh) November 2, 2020