केंद्र की मोदी सरकार राज्यों से किए अपने वादे से मुकरती नज़र आ रही है। राज्यों के साथ गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) बंटवारे को लेकर केंद्र ने अपने हाथ खड़े कर दिए हैं। केंद्र का कहना है कि वो राज्यों को जीएसटी में उनके हिस्से का पैसा देने की स्थिति में नहीं है।

वित्त सचिव अजय भूषण पांडे ने वित्त मामलों की संसदीय समिति के सामने कहा कि मौजूदा राजस्व बंटवारे के फार्मूले के अनुसार सरकार राज्यों को उनकी जीएसटी हिस्सेदारी का भुगतान नहीं कर पा रही है। द हिंदू में छपी खबर के मुताबिक़, जयंत सिन्हा की अध्यक्षता वाली समिति में पांडेय से कोरोना महामारी के चलते खजाने में आई कमी के बारे में पूछा गया था।

इसी सवाल के जवाब में वित्त सचिव ने जीएसटी भुगतान को लेकर ये टिप्पणी की। इसके बाद समिति के एक सदस्य ने पांडेय से पूछा कि क्या ये केंद्र का राज्यों से किए वादे से मुकरना नहीं है? इसपर पांडेय ने कहा कि अगर टैक्स कलेक्शन एक निश्चित सीमा से कम होता है तो जीएसटी एक्ट में राज्यों को पैसा देने के फॉर्मूले में बदलाव की व्यवस्था है। यानी टैक्स कलेक्शन कम होने पर राज्यों को मिलने वाले पैसे की हिस्सेदारी में कमी की जा सकती है।

वहीं सोमवार को वित्त मंत्रालय ने कहा था कि वित्त वर्ष 2019-20 के लिए केंद्र सरकार ने जीएसटी मुआवजे की 13,806 करोड़ की अंतिम किस्त जारी की थी। जबकि जीएसटी परिषद को जुलाई में बैठक बुलानी थी, लेकिन अभी तक बैठक नहीं बुलाई गई है।

इसके साथ ही वाणिज्य मंत्रालय से जुड़ी संसदीय स्थायी समिति की बैठक में कोरोना काल और लॉकडाउन की स्थिति में देश में रोजगार के हालात पर एक रिपोर्ट पेश की गई। जिसमें चिंताजनक आंकड़े सामने आए हैं। सरकार के एक प्रतिनिधि द्वारा पेश की गई इस रिपोर्ट में बताया गया कि लॉकडाउन के चलते तकरीबन 10 करोड़ लोगों के बेरोज़गार होने का ख़तरा है।

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