केंद्र की मोदी सरकार ‘जवान-जवान’ करते हुए अब उन्हीं को सुविधाएं देने में नाकाम होने लगी है। बीजेपी की केंद्र सरकार ने सेना और जवानों को लेकर सबसे ज्यादा राजनीति की है। जब तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जवानों का राग अलापने लगते हैं। टेलीग्राफ की खबर के मुताबिक, सीमा पर तैनात रहने वाले सशस्त्र बल के करीब 90000 हजार कर्मियों को सरकार की तरफ से जनवरी और फरवरी के भत्तों का भुगतान नहीं किया गया है।
भत्तों का भुगतान नहीं किया जाना सरकार के पास फंड की कमी बताया जा रहा है। सशस्त्र बल ने चिंता जताते हुए मोदी सरकार से कह दिया है कि उनके पास दो महीने का वेतन देने के लिए भी पैसे नहीं है। ये साफ़ तौर पर मंदी का असर है जो अब सेना के जवानों के ऊपर भी दिखने लगा है। लेकिन मोदी सरकार ये मानने को तैयार ही नहीं है कि देश में मंदी है! जबकि एक-एक करके सभी सरकारी कंपनियों और संस्थाओं में पैसे की कमी साफ़ दिखने लगी है।
अगले महीने फरवरी में देश का आम बजट भी आने वाला है। ठीक ऐसे समय में जवानों को वेनत नहीं मिलना ये जवानों का मनोबल तोड़ सकता है। क्योंकि जवान सीमा पर विपरीत परिस्थितियों में अपनी ड्यूटी कर रहे हैं।
टेलीग्राफ की खबर के मुताबिक, यह दूसरा मौका है जब अर्द्धसैनिक बलों के कर्मियों के भत्तों का भुगतान रोक दिया गया है। पिछले साल सितंबर 2019 में सीआरपीएफ के 3 लाख जवानों का 3600 रुपये का राशन भत्ता रोक दिया गया था। मामला बढ़ने के बाद अगले महीने यानि अक्टूबर महीने में सरकार ने फंड जारी किया था।
सशस्त्र बल के कर्मचारियों के जो भत्ते रोके गए हैं उसमें सभी तरह के भत्ते शामिल हैं। जिसमें बच्चों की पढाई, लीव कांशेसन आदि भत्ते शामिल हैं। बता दें कि एसएसबी भूटान-नेपाल से सटी भारत की 2450 किलोमीटर सीमा की रक्षा करते हैं।