केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार बेरोज़गारों को भी बख्शती नज़र नहीं आ रही। सरकारी ख़ज़ाने को भरने के लिए उनसे भी वसूली की जा रही है।

एक आरटीआई से इस बात का ख़ुलासा हुआ है कि रेलवे बोर्ड ने 2018 में बेरोज़गारों से भर्ती फ़ीस के नाम पर 900 करोड़ रुपए वसूले।

दरअसल, भोपाल के आरटीआई कार्यकर्ता डॉ. प्रकाश अग्रवाल ने रेलवे बोर्ड से फरवरी 2018 में निकाली गई भर्ती में आवेदकों से ली जाने वाली फीस की जानकारी मांगी थी।

जिसके जवाब में पता चला कि करीब सवा लाख पदों की भर्ती के लिए करीब 2 करोड़ 37 लाख आवेदकों ने अप्लाई किया। इन आवेदकों से रेलवे बोर्ड ने एग्जाम फीस के नाम पर करीब 900 करोड़ रुपए वसूले।

आरटीआई से इस बात का ख़ुलासा भी हुआ कि रेलवे ने 2018 में बेरोज़गारों से जितने पैसे वसूले वो 2013-14 के मुकाबले 10 गुना ज़्यादा थे।

2013-14 में बेरोज़गारों से एग्ज़ाम के नाम पर वसूले जाने वाली फील केवल 9 करोड़ रुपए थी, जो कि 2018 तक तकरीबन 10 गुना बढ़कर 900 करोड़ रुपए हो गई।

2013-2014 में परीक्षा के नाम पर बेरोज़गारों से ली जाने वाली फीस महज़ 60 रुपए थी, जो 2016 में 500 रुपए कर दी गई। रेलवे बोर्ड ने परीक्षा फीस में दो तरह के प्रावधान रखे थे। जनरल और रिजर्व्ड कैटेगरी। जनरल वालों को 500 रुपये देने थे जिसमें से परीक्षा में उपस्थित होने वालों को 400 रुपये वापस हो जाएंगे।

आरक्षित श्रेणी वाले छात्रों को 250 रुपये और परीक्षा में उपस्थित होने पर ये पूरे पैसे उनके खाते में रेलवे ने भेजने की शर्त रखी। और जो परीक्षा में उपस्थित नहीं होंगे उनके पूरे पैसे रेलवे की तिजोरी में चले जाएंगे।

बता दें कि 2015 तक आरक्षित श्रेणी वाले छात्रों से फील नहीं ली जाती थी।

इस मामले को लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने बीजेपी पर ज़ोरदार हमला बोलते हुए कई सवाल खड़े किए।

उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “रेलवे भर्ती बोर्ड की फीस 2013 तक 60 रुपए थी। भाजपा सरकार ने बढ़ाकर उसे 2016 में 500 रुपए कर दिया। बेरोजगारों से भर्ती के नाम पर रेलवे भर्ती बोर्ड 900 करोड़ रुपए वसूल चुका है।

लेकिन रोजगार कितना मिला? युवाओं से जो हर साल 2 करोड़ रोजगार का वादा किया गया था वो कितना पूरा हुआ?”

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