बेंगलुरु में कांग्रेस विधायक के भतीजे द्वारा सोशल मीडिया पर की गई कथित आपत्तिजनक पोस्ट के बाद जिस तरह से दंगाइयों ने कोहराम मचाया उसे देखते हुए इस महानगर में धारा 144 लगानी पड़ी।
भीड़ के उन्माद का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कांग्रेस विधायक हों या लोकल पुलिस प्रशासन, घंटो निवेदन करते रहे, भीड़ नहीं हटी। MLA ने बकायदा वीडियो जारी करके कहा कि कानून व्यवस्था बनाए रखें, फेसबुक पोस्ट करने वाले व्यक्ति(भतीजे) पर सख्त से सख्त कार्यवाई की जाएगी।
देर रात भड़की हिंसा में पत्थरबाजी, आगजनी और तोड़फोड़ जैसी अराजकता शामिल थी।
हालांकि इस हिंसक भीड़ के विरोध में कुछ मुस्लिम नौजवानों ने अपनी सूझबूझ से काम लिया जिसका वीडियो वायरल हो रहा है और लोग इनकी जमकर तारीफ कर रहे हैं।
वायरल वीडियो के मुताबिक जब हिंसक भीड़ एक मंदिर की ओर बढ़ती है तो कुछ मुस्लिम नौजवान घेरा बनाकर खड़े हो जाते हैं और मंदिर की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध दिखते हैं।
संभवत ये वो लोग थे जो तुलनात्मक रूप से समझदार थे जिन्हें अंदाजा था कि अगर हिंसा को सांप्रदायिक रूप दे दिया जाएगा तो आम आदमी को कितनी मुसीबतें झेलनी पड़ेंगी।
हालांकि ऐसे में भी सबसे बड़ा सवाल यही है कि कौन लोग हैं जो लॉकडाउन और कानून व्यवस्था दोनों को ठेंगा दिखाते हुए भीड़ को एकजुट कर रहे थे। ये कौन लोग हैं जिनका मानना है कि आहत भावनाओं का हवाला देकर सड़कों पर उपद्रव करना न्याय संगत है। आखिर ये कौन लोग हैं जो ईशनिंदा का नाम लेकर भीड़ हिंसा को बढ़ावा देना चाह रहे हैं?