उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में गोकशी के शक में भड़की हिंसक भीड़ ने कल एक पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह और एक आम नागरिक की हत्या कर दी। साथ ही इस बेकाबू ने पुलिस चौकी फूंक और दर्जनों वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया।

इस घटना के बाद पूरे देश में एक बार फिर संप्रादायिक हिंसाओं की खबरों का चलन एक दम से बड़ गया। कई फर्जी और भड़काऊ खबरों ने सोशल मीडिया से लेकर टी.वी तक को घरे रखा।

लेकिन कल इस सब के बाद भी लोगों का एक बड़ा समूह इस संप्रदायिक माहौल में एक-दूसरे को संभलने और धर्म के नाम पर हो रही इस हिंसा के खिलाफ खड़े रहने की अपील करता नज़र आया है।

बुलदशहर हिंसा पूर्व नियोजित थी, हिंदू-मुस्लिम दंगा भड़काने के लिए चुना गया था इज्‍तमा का दिन- राजभर

इन्हीं में एक नाम इस हिंसा में शहीद हुए पुलिसकर्मी सुबोध कुमार सिंह के बेटे अभिषेक का भी है। इस हिंसा में अपने पिता को खो चुके अभिषेक ने कल मीडिया से बात करते हुए है कि उनके पिता चाहते थे कि मैं एक अच्छा नागरिक बनूं जो धर्म के नाम पर समाज में हिंसा को नहीं उकसाता हो। आज मेरे पिता ने इस हिंदू-मुस्लिम विवाद में अपना जीवन खो दिया, कल किसके पिता अपना जीवन खोएंगे?

आपकों बता दें कि शहीद हुए पुलिसकर्मी सुबोध कुमार सिंह दादरी के अखलाक हत्याकांड में जांच अधिकारी भी रहे थे। यह हत्याकांड भी गोकशी के शंक में भीड़ द्वारा अखलाक की हत्या से जुड़ा ही है। उन्होंने 28 सितम्बर 2015 से 9 नवम्बर 2015 तक मामले की जांच की थी। हालांकि जांच के दौरान ही उनका वाराणसी तबादला कर दिया गया था।

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