राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के बाद केंद्र सरकार निशाने पर है. एनसीआरबी की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, 2021 के दौरान दर्ज 1,64,033 आत्महत्या पीड़ित दैनिक वेतन भोगी थे.

रिपोर्ट के अनुसार, साल 2021 में भारत दर्ज आत्महत्याओं में दैनिक वेतन भोगियों का प्रतिशत 25.6 प्रतिशत है. साल 2021 में देश में दर्ज की गई 1,53,052 आत्महत्याओं में से 42003 (एक चौथाई) के साथ दैनिक वेतन भोगियों की हिस्सेदारी सबसे अधिक थी.

वहीं कोविड महामारी से पहले दैनिक वेतन भोगियों की आत्महत्याओं में दर्ज हिस्सेदारी 23.4 प्रतिशत थी.

एनसीआरबी की रिपोर्ट से पता चलता है कि 2021 के बाद आत्महत्या पीड़ितों के बीच दैनिक वेतन भोगियों की हिस्सेदारी ना सिर्फ़ बढ़ी बल्कि राष्ट्रीय औसत की तुलना में ये सख्या तेज़ी से बढ़ी है.

रिपोर्ट के मुताबिक, आत्महत्या के मामले में देश में 2021 में महाराष्ट्र सबसे आगे रहा. तमिलनाडु और मध्यप्रदेश आत्महत्या के मामलों में दूसरे और तीसरे नंबर पर है.

रिपोर्ट के मुताबिक कैरियर से संबंधित समस्याएं, अलगाव की भावना, दुर्व्यवहार, हिंसा, पारिवारिक समस्याएं, मानसिक विकास, शराब की तल और वित्तीय नुकसान देश में आत्महत्या की मुख्य वजह हैं.

एनसीआरबी की रिपोर्ट आने के बाद तृणमूल कांग्रेस की मोहुआ मोइत्रा ने ट्वीट करते हुए केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा,

उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि “एनसीआरबी के आंकड़ों से पता चलता है कि 2021 में सभी पीड़ितों में दैनिक वेतन भोगियों की संख्या 25.6 प्रतिशत रही, क्या बीजेपी के भारत में “आत्म निर्भर” का यही अर्थ है”

कोरोना काल में नौकरी, छोटे व्यवसाय बंद होने से लाखों लोग आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. एनसीआरबी की रिपोर्ट इस तबाही का खुलासा करती है. लोगों की नौकरियां चली गई और उनके पास परिवार पालने तक की इनकम नहीं है.

साल में दो करोड़ नौकरी का दावा करने वाले पीएम मोदी भी लोगों को रोज़गार देने में नाकाम हैं, ऐसे में विपक्षी पार्टियों का उन पर सवाल उठाना लाज़मी है.

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