सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश को ‘अपराध प्रदेश’ बनने पर पहले ही योगी सरकार को घेर चुके है। मगर जिस तरह से मामले में लिप्त होने के बाद अपराधी जेल की जगह खुले असमान में सांस लेते हुए नज़र आ रहें है। दादरी लिंचिंग में यही देखा गया झारखंड में हुई भीड़हत्या के आरोपियों को तत्कालीन वित्त राज्यमंत्री जसवंत सिन्हा माला पहनाते हुए नज़र आए थे।
अब योगी सरकार भीड़हत्या के खिलाफ ठीक से लड़ पाने में फिस्सडी साबित हो रही है। खबर है कि पिछले साल गोकशी की आशंका में बुलंदशहर में हुई हिंसा के मुख्य आरोपी योगेश राज समेत चार लोगों को इलाहाबाद हाईकोर्ट से ज़मानत मिल गई है। याद रहें कि इसी घटना में पुलिस ऑफिसर सुबोध कुमार सिंह की हत्या कर दी थी जबकि सुमित नाम के एक युवक की भी मौत हो गई थी।
अब इस घटना के मुख्य पांच आरोपियों को जमानत मिल गई है। इस घटना के एक महीने बाद फरार बजरंग दल का नेता योगेश राज गिरफ्तार हो पाया था। जिसपर महाव गांव में एक मवेशी का शव मिलने के बाद भड़की हिंसा के दौरान भीड़ को इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह को मारने के लिए उकसाया था।
इससे पहले भी इस मामले में कुछ लोगों को जब जमानत मिली थी तब लोगों ने जेल के बाहर खड़े होकर ‘जय श्रीराम’ और ‘वंदे मातरम’ के नारों के बीच उन लोगों की रिहाई का जश्न मनाया था। जिसपर बीजेपी ने अपना सफाई देते हुए कहा था कि कोई निजी तौर पर क्या करता है ये हम तय नहीं कर सकते। मगर अब एक बार फिर इस मामले में योगी सरकार की ढिलाई साफ़ नज़र आई है।
इस मामले पर पुलिस ऑफिसर सुबोध कुमार सिंह के बेटे ने योगी सरकार ठीक से ठीक से पैरवी ना करने पर सवाल उठाया है। उसने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि अगर ठीक से साफ़ पता चल रहा है कि इन लोगों ने क्या किया है, फिर भी एक-एक करके सभी को ज़मानत मिल गई।
इसमें तो सरकार को मज़बूती से पैरवी करनी चाहिए थी। हमें उम्मीद है कि अब सरकार चेतेगी और अपने एक जांबाज इंस्पेक्टर को न्याय दिलाएगी। अब वहीं इस मामले पर पत्रकारों ने भी योगी सरकार की आलोचना शुरू कर दिया है।
Our judicial system is completely broken. A man accused of killing a police officer gets bail; a young girl who was raped is under arrest and our Supreme Court looks the other way on civil liberties in Kashmir. What a shame https://t.co/C1QIcUumMI
— Nidhi Razdan (@Nidhi) September 25, 2019
पत्रकार निधि राजदान ने कहा कि हमारी न्यायिक व्यवस्था पूरी तरह से टूट चुकी है। एक पुलिस अधिकारी की हत्या के आरोपी शख्स को जमानत मिल जाती है, जिसका बलात्कार हुआ था, उसकी गिरफ्तारी हो रही है और हमारा सर्वोच्च न्यायालय कश्मीर में नागरिक स्वतंत्रता पर दूसरा रास्ता देखता है। कितनी शर्म की बात है।