नरेंद्र मोदी ने भारत का प्रधानमंत्री बनने के लिए कई वादे किये। उनमें से एक वादा ये भी था कि उनकी भारतीय शहरों की तस्वीर बदल देगी और उसके लिए सबसे ज़रूरी है लोगों के सर पर छत होना। शहरों में आज भी कई लोग फुटपाथ और फ्लाईओवर के नीचे जिंदीगी बसर करते नज़र आते हैं।

सरकार सत्ता में आने के पीएम मोदी ने सबको घर देने का वादा किया और इसके लिए प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (पीएमएवाई-यू) की शुरुआत की। इस योजना के आधार पर लोगों को उनकी ज़िंदगी का सबसे बड़ा सपना यानि अपना घर होना का सपना बेंचा गया।

इसके लिए दुनियाभर का विज्ञापन किया गया और करोड़ों लोगों से घर के लोए फॉर्म भराए गए। अब जब प्रधानमंत्री मोदी का कार्यकाल लगभग पूरा हो चुका है तो ये जान लेना महत्वपूर्ण है कि जनता को उनके द्वारा दिखाया गया सपना कितना पूरा हुआ है।

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केंद्र सरकार ने एक जनवरी 2019 को लोकसभा में ही पीएमएवाई के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि पूरे देश में मकानों के निर्माण के लिए लगभग एक लाख करोड़ रुपए का बजट रखा गया है। लेकिन इसमें से लगभग 20 फ़ीसदी के बराबर यानी 20,892 करोड़ रुपए हे खर्च किये गए हैं।

अब अगर इस बात पर नज़र डाली जाए कि कितने प्रतिशत काम पूरा हुआ है योजना के आंकड़ें बताते हैं कि 2022 तक 1.2 करोड़ मकान बनाने का लक्ष्य तय किया गया है लेकिन इसमें 12 लाख मकान पूरे हो चुके हैं।

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मतलब कुल लक्ष्य के 10 फ़ीसदी के क़रीब। सरकार की धीमी गति को देखते हुए विशेषज्ञों का कहना है कि 2022 तक ज़रूरतमंदों के लिए 1.2 करोड़ मकान बनाकर देने का लक्ष्य हासिल करने के लिए सरकार को अब रोज 9,813 मकानों का निर्माण पूरा करना होगा। जो मुमकिन प्रतीत नहीं होता है।

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