लोकसभा चुनाव-2019 में रायबरेली, अमेठी और बनारस जैसी वीआईपी सीटों से कहीं अधिक चर्चा इस बार बिहार की बेगूसराय सीट की हो रही है। कारण है प्रधानमंत्री मोदी को खुली चुनौती देने वाले जवाहर नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार का बीजेपी नेता गिरिराज सिंह चौहान के खिलाफ चुनावी मैदान आना।

एनडीटीवी के बात करते हुए पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष ने कहा कि मेरी यह लड़ाई ना ही मोदी के खिलाफ है और ना ही गिरिराज सिंह के खिलाफ। मेरी लड़ाई संविधान विरोधी ताक़तों के खिलाफ है।

हमारा मुकाबला उन लोगों के खिलाफ है, जो संवैधानिक अधिकारों पर हमला करते हैं और वे यही लोग है जो पिछले पांच सालों में देश में हुए किसानों, मज़दूरों, स्टूडेंट्स, महिलाओं, दलितों, आदिवासियों, गैर सरकारी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों के आंदोलनों को दबाया है।

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यही लोग इस चुनाव में इन मुद्दों की बात नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारी लड़ाई संवैधानिक बुनियादी अधिकारों को खत्म करने वालो के खिलाफ है। संवैधानिक संस्थानों पर हमला करने वाले सेना का कर रहे हैं दुरुपयोग

उन्होंने कहा कि यह बहुत ही अफसोसजनक है कि चुनाव आयोग के निर्देश के बावजूद देश के जनता को गुमराह करने के लिए खुद प्रधानमंत्री और उनकी पार्टी के नेता चुनावी सभाओं में सेना की चर्चा कर रहे हैं। अपने उपर लगे देशद्रोह के आरोपो पर कन्हैया ने कहा कि कहने को तो स्वतंत्रा सेनानियों को भी अंग्रेज बागी और उग्रवादी कहते थे, आज़ादी मिलने के बाद वही बाग़ी और उग्रवादियों हमारे लिए क्रांतिकारी कहलाए।

उन्होंने कहा कि हम किसी नई आजादी के लिए लड़ाई नहीं लड़ रहे हैं, आज़ाद देश में संवैधानिक मूल्यों व व्यक्तिगत आजादी पर जो हमला हो रहा है, उसके लिए हम लड़ रहे हैं। कन्हैया ने कहा कि उन के उपर जितने आरोप लगाए गए हैं वे सब बीजेपी आईटी सेल द्वारा दुष्प्रचार है। हमारे खिलाफ जो भी कार्रवाई की बात हो रही है वह बीजेपी की पोलिटिकल स्टंटबाजी है।

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कन्हैया ने कहा कि इससे पहले उनकी पीएचडी को दो बार रोकने की कोशिश की है, जिसके बाद हाईकोर्ट के आदेश से हमे पीएचडी हासिल हुई। कांग्रेस-आरजेडी द्वारा उनका साथ नहीं देने के प्रश्न पर कन्हैया ने कहा कि मुझे इस बात से मतलब नहीं है कि कौन हमारे साथ है कौन हमारे साथ नहीं है। मुझे इस बात से मतलब है कि इस देश की जन भावना क्या है। अगर देश की जनता हमारे साथ है तो यह हमारे लिए बड़ी बात है। उन्होंने कहा कि नेताओं का गठबंधन हो या न हो जनता का गठबंधन ज़रुर होना चाहिए।

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बेगूसराय की जनता ने यह ठान लिया है कि नफरत उगलने वाले बाहरी नेता गिरिराज सिंह को हराना है। उस नेता को हमे नहीं जिताना है जो चुनाव लड़ेंगे बेगूसराय से और चर्चा करे पाकिस्तान की। उन्होंने कहा कि देश के मुद्दे पर गिरिराज सिंह हमसे बहस नहीं कर सकते।

उन्होंने कहा कि गिरीराज सिंह को छोड़िए मैं तो एक नागरिक के तौर पर मैं प्रधानमंत्री को सीधे चुनौती देता हूं और बहस करने के लिए तैयार हूं कि वे बताए कि पांच सालों में उन्होंने क्या किया। उन्होंने कहा कि मेरी लड़ाई को बेगूसराय के लोग अपने मान सम्मान से जोड़कर देख रहे हैं। उनको लगता है कि यह हमारा बेटा है, शिक्षा रोज़गार, स्वास्थ्य सड़क और आत्म सम्मान की लड़ाई लड़ेगा इसे वोट देना चाहिए।

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