पूर्व वित्त मंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने राफेल मुद्दे को लेकर एक बार केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि अगर मोदी सरकार ये सोच रही है कि वो राफेल घोटाले को दबाने में सफल रही है, तो वो गलत सोच रही है। आज इसमें एक नया आयाम जुड़ गया है।

कांग्रेस नेता ने ‘द हिंदू’ में छपी नई रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि 2007 में यूपीए द्वारा तय कीमत 79.3 मिलियन यूरो थी। 2011 में यह 100.85 मिलियन यूरो हो गई। 2016 में मोदी सरकार ने 9% की छूट हासिल की लेकिन वो छूट 126 विमानों के लिए नहीं, 36 विमानों के लिए थी।

उन्होंने कहा, “वायु सेना ने भारत के हिसाब से 13 विशिष्ट बदलाव के लिए कहा था, जिसके लिए यूपीए सौदे और एनडीए सौदे में 1.3 बिलियन यूरो का भुगतान किया जाना था, लेकिन ये भुगतान यूपीए सौदे में 126 विमानों के लिए था, जबकि एनडीए सौदे में सिर्फ 36 विमानों के लिए है।”

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कांग्रेस नेता ने कहा कि इस सौदे से दसॉल्ट को दो तरह से फायदा हुआ। एक प्रति विमान मूल्य में बढ़ोतरी और दूसरा मुद्रा का शुद्ध वर्तमान मूल्य। यह एनडीए सरकार द्वारा दसॉल्ट को तोहफा है।

यदि सरकार दसॉल्ट को बाकी 90 विमानों की खरीद का आदेश देती है तो दसॉल्ट फिर से भारत के हिसाब से विशिष्ट बदलावों की कीमत वसूलेगा।

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उन्होंने आगे कहा, “10 अप्रैल, 2015 को जब पीएम मोदी ने यूपीए वाले सौदे को रद्द किया और नये सौदे की घोषणा की, तो एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया। सरकार ने वायुसेना की 126 विमानों की जरूरत को खारिज करके केवल 36 विमान खरीदने का फैसला क्यों किया? इसका जवाब नहीं दिया गया।”

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