न्यू इंडिया के लिए आज की ताजा खब़र ये है कि डॉलर की तुलना में रुपया थोड़ा और छोटा हो गया है। डॉलर के मुकाबले रूपया लुढ़कते हुए 76 के पार चला गया है।

1 डॉलर की तुलना में रूपये के 76.06 तक गिरने के बाद प्रधानमंत्री ने अपनी गरिमा कितनी खोयी है ये पता लगाने के अब दुनिया में वरिष्ठ भाजपा नेत्री सुषमा स्वराज नहीं हैं।

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सुषमा स्वराज कहती थीं, रूपया केवल एक कागज का टुकड़ा नहीं होता, रूपया केवल एक करेंसी नहीं होती। इस करेंसी के साथ देश की प्रतिष्ठा जुड़ी हुई होती है। और जैसे-जैसे करेंसी गिरती है, वैसे-वैसे देश की प्रतिष्ठा गिरती है।

सुषमा स्वराज भले ही आज दुनिया में ना हों। लेकिन उनके इस वक्तव्य में मौजूदा प्रधानमंत्री अपना चेहरा जरूर देख सकते हैं। या फिर मोदी अपनी ही बातों को याद कर सकते हैं, जो वो गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए कहा करते थे।

कांग्रेस की मनमोहन सरकार पर निशाना साधते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा था, ”देश का दुर्भाग्य है कि दिल्ली के शासकों को ना देश के रक्षा की चिंता है, ना रूपये की कीमत की चिंता है। उन्हें अगर चिंता है तो कुर्सी बचाने के कार्यक्रमों की चिंता है।

कुर्सी बचाने के तौर तरीके क्या हो, उसी में वो डूबे हुए हैं। और इसी के कारण आज देश के लिए वो कुछ सोच पाएंगे… डॉलर के सामने रूपया ताकत के साथ खड़ा हो… इसके लिए कोई योजना कर पाएंगे, ये तो कुछ नजर नहीं आ रही है।

पिछले तीन महीने में जिस तेजी से रूपये की कीमत टूटती गई है, गिरावट आयी है और दूसरी तरफ तीन महीने में सरकार की तरफ से एक भी कदम लिया गया हो… ऐसे कोई संकेत नजर नहीं आ रहे। और तब जाकर देश को चिंता होना बहुत स्वभाविक है। और एक बार रूपया गिरता चला जा रहा हो तो दुनिया की आर्थिक शक्तियां इसका भरपूर फायदा उठाती हैं, उसको भी रोकने में दिल्ली की सरकार पूरी तरफ विफल रही है।”

नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर ये सार आरोप उस वक्त लगाए थे जब 1 डॉलर की तुलना में रूपया 61 से 62 रूपये के बीच में था। और आज रूपया 76.06 रूपये तक गिर चुका है।

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