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जिसके ऊपर सुरक्षा देने की जिम्मेदारी है, आतंकी-दंगाई और अपराधियों से महफूज रखना और हिफाजत करना जिसका फर्ज है। जब वो रक्षक ही आतंकी को शाबासी दे और उसके घिनौने करतूतों का समर्थन करता हो फिर हम और आपको ये सोचना होगा कि हमसब कितने सुरक्षित माहौल में जी रहे है।
दरअसल कल जामिया के छात्रों ने गांधी जयंती के अवसर पर जामिया से राजघाट तक पद यात्रा निकाली। तभी अचानक से गोपाल नामक आतंकी सामने से आता है। तमंचे लहराते हुए ये कहता है किसे चाहिए आजादी, हम देंगे उसे आजादी। ये कहते हुए आतंकी ने छात्रो पर गोली चला दी।
इस पूरे मामले पर उत्तर प्रदेश पुलिस का एक अफसर जिसका नाम विनोद वत्स है। आतंकी को ऐसा करने के लिए शाबासी देते हुए लिखता है कि “बहुत सही आजादी का मांग पूरा किया. अभी तो ये ट्रेलर है गद्दारों”।
उत्तर प्रदेश पुलिस के अफसर का आतंकी को समर्थन करने पर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने ट्वीटर पर लिखा- ‘अगर हमारा पुलिस विभाग या न्यायपालिका सही तरीके से काम कर रहा है, तो इस विनोद वत्स को सिर्फ नौकरी से बाहर नहीं बल्कि जेल में डालना चाहिए।’
If our Institutions like Police & Judiciary had been functioning properly, this UP police officer Vinod Vats would not only be out of job but in jail https://t.co/jCSfwEsMZB
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) January 31, 2020
वहीं कांग्रेस की प्रवक्ता पंखुड़ी पाठक ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस से पूछा- “क्या उत्तर प्रदेश पुलिस का अपने कर्मियों पर कोई जोर नहीं है या इन्हें ऊपर से ही आतंक फैलाने के आदेश दिये गये हैं?
बता दे कि जामिया में हुई फायरिंग की घटना के बाद पुलिस पर कई तरह के सवाल उठ रहे है। जिस वक्त आतंकी तमंचा लहरा रहा था। उस समय पुलिस चंद कदम की दूरी पर मूकदर्शक बनी खड़ी थी। दिल्ली पुलिस की इस बेवशी को देखकर लोग सोशल मीडिया पर कई तरह के सवाल खड़े कर रहे है।
लोगों का दिल्ली पुलिस से कुछ सवाल है जो सोशल मीडिया पर काफी ट्रेंड कर रहा है। पुलिस रात के अंधेरे में जामिया की लाइब्रेरी और बाथरूम के अंदर घूसकर निहत्ते छात्रों को पीटती है। वही दूसरी ओर पुलिस के सामने आतंकी तमंचे लहराते हुए फायरिंग करता है। और पुलिस आराम से हाथ बांधे खड़ी रहती है। आखिर पुलिस ने उसे पकड़ने की कोशिश क्यों नहीं की?
वही दूसरा मामला जेएनयू का है, जहां पुलिस के सामने मुंह पर कपड़ा बांधे एबीवीपी के गुंडे कैम्पस के अंदर घूसकर तोड़फोड़ करते है। जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आईसी घोस सहित प्रोफेसर और कई छात्रों को पीटते है। पुलिस से जब छात्र मदद मांगते है तो पुलिस ये कहते हुए कैंम्पस के अंदर नहीं दाखिल होती है कि उसके पास अंदर जाने का परमीशन नहीं है।
इस तरह के कई आरोपों से दिल्ली पुलिस घिरी हुई है। बेहतर यहीं होगा कि दिल्ली पुलिस अपनी विश्वसनियता कायम करें और दिल्ली की जनता और छात्रों को ये एहसास कराये कि पुलिस जनता की सेवा और सुरक्षा करने के लिए है। बिना किसी भेदभाव और निष्पक्ष बनकर पुलिस आपके साथ हर कदम पर खड़ी है।