फेक न्यूज मौजूदा वक्त की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। सोशल मीडिया और इंटरनेट के विस्तार ने फेक न्यूज के क्षेत्र को बढ़ा दिया है। भारत जैसे देश जहां internet literacy बहुत कम है और जाति, धर्म, समुदायों में लोग ज्यादा बिखरे हुए हैं, वहां फेक न्यूज अपना असर ज्यादा छोड़ रहा है।

पिछले दिनों झारखंड में व्हाट्सएप के जरिए बच्चों को अगवा करने वाले एक गैंग के बारे में अफवाह फैली। इसके बाद सरेआम कुछ लोगों को पीट पीटकर मार डाला गया। बाद में पता चला कि वह फेक न्यूज थी और मारे गये लोग निर्दोष थे।

इस घटना से भारत में फेक न्यूज की गंभीरता को समझा जा सकता है। इसी गंभीर समस्या से निटपटने के लिए भारत में फैक्ट चेकिंग वेबसाइट्स ने आकार लिया। ऐसी ही एक फैक्ट चेकिंग वेबसाइट है ऑल्ट न्यूज। ऑल्ट न्यूज के को-फाउंडर प्रतीक सिन्हा वो शख़्स हैं जिन्होंने बड़े स्केल पर भारत में फेक न्यूज के खिलाफ मुहीम छेड़ी।

इसकी वजह से उन्हें दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा अर्बन नक्सल और देशद्रोही जैसे शब्दों से संबोधित किया गया। बोलता हिंदुस्तान ने प्रतीक सिन्हा से ‘फेक न्यूज’ पर विस्तृत चर्चा की।

पिछले ढ़ेढ सालों से फेक न्यूज़ की खाल उधेड़ने वाले प्रतीक सिन्हा कहते हैं कि ‘इसमे कोई संदेह नहीं है कि फिलहाल जो भी ‘फेक न्यूज’ फैलायी जा रही है उससे भाजपा को सबसे ज्यादा फायदा हो रहा है।’

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13 सालों तक सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी करने वाले प्रतीक सिन्हा बताते हैं कि उन्होंने नौकरी छोड़कर फैक्ट चेकिंग का काम इसलिए शुरू किया क्योंकि भारत में इंटरनेट का विस्तार अपने साथ कई मुसीबतों को लेकर आया। उसमे से एक था फेक न्यूज।

2016 में अचानक एक साथ कई फर्जी वेबसाइट शुरू हो गईं जैसे- hindutva.Info या dainik bharat हो। ये वेबसाइट्स धड़ल्ले से फेक न्यूज फैला रहे थें और इन्हें काउंटर करने वाला कोई नहीं था। ऐसे में पहले से Alt news के माध्यम से फैक्ट चेकिंग का काम शुरू किया।

वैसे बता दें कि Alt news से पहले प्रतीक Truth Of Gujarat नाम की वेबसाइट चलाते थे। ये वेबसाइट गुजरात में मोदी सरकार द्वारा फैलाई जा रही विकास की झूठी खबरों का खुलासा करते थे।

प्रतीक सिन्हा के पिता मुकुल सिन्हा गुजरात हाईकोर्ट में वकील थे, ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट थे और नरेंद्र मोदी के प्रखर आलोचक भी । चाहे 2002 का दंगा हो या फर्जी एनकाउंटर का मामला मुकुल सिन्हा ने नरेंद्र मोदी को कई मोर्चों पर घेरा।

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जब प्रतीक सिन्हा से पूछा गया कि क्या वो अपने पिता के एक्टिविज्म को मिस कर रहे थे इसलिए भी सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी छोड़कर ऑल्ट न्यूज को शुरू किया?

इसके जवाब में प्रतीक ने कहा कि वो शुरूआत में एक्टिविज़्म में नहीं रहे लेकिन बाद में ऊना कांड पीड़ितों के लिए हुए आंदोलन में शामिल हुआ, सफाई कर्मचारियों के हड़ताल में शामिल हुआ। और इस दौरान उन्हें अहसास हुआ कि वो अपनी नौकरी में जो कर रहे हैं वो आम जनता के किसी काम नहीं आ रहा है।

अपने इन्हीं चिंतनों के साथ प्रतीक सिन्हा नौकरी छोड़कर पूरी तरह ऑल्ट न्यूज के माध्यम से फेक न्यूज की पोल खोलने में जुट गएं।

फेक न्यूज क्या है?

प्रतीक बताते हैं कि सोशल मीडिया पर आपके पास कोई भी ऐसा मैसेज आए, जिसे देखकर आपको बहुत गुस्सा आए या बहुत नफरत आए, बहुत डर पैदा हो उस मैसेज पर जल्दी रिएक्ट न करे, शेयर न करे क्योंकि ऐसे ही ज्यादातर मैसेज फेक होते हैं। ऐसे ही न्यूज फेक होते हैं।

क्या फेक न्यूज सिर्फ पॉलिटिकल टूल है, परसेप्शन बनाने का खेल या फेक न्यूज अब एक बिजनेस मॉडल भी बन चुका है? 

भारत में सबसे ज्यादा फेक न्यूज कौन सी राजनीतिक पार्टी फैलाती है?

क्या दर्शकों, पाठकों का भरोसा मुख्यधारा की मीडिया से उठ गया और इसलिए वो फेक न्यूज को असली न्यूज मानने  लगी है?

क्या फेक न्यजू से सत्तधारी बीजेपी को फायदा हो रहा है इसलिए वो इसपर लगाम लगाने में देरी कर रही है?

क्या प्रतीक सिन्हा अपने पिता की तरह ही राजनीति में भी आएंगे?

ऐसे तमाम सवालों का जवाब दिया है प्रतीक सिन्हा ने बोलता हिंदुस्तान के साथ बातचीत में। कल 23 नवंबर को प्रतीक सिन्हा से बातचीत का पूरा वीडियो बोलता हिंदुस्तान के फेसबुक पेज पर देखने को मिलेगा।

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