राज्यसभा में कृषि बिल को पास कर दिया गया है। ये बिल बिना किसी वोटिंग के पास किया गया है। जिसका विपक्षी पार्टियां विरोध कर रही हैं।

विपक्षी दल के नेताओं ने बिल को किसान विरोधी करार देते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने इसे जिस तरह से पास कराया है, ऐसा लोकतंत्र में नहीं होता। ये सरासर तानाशाही है।

शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने भी केंद्र सरकार द्वारा बिल को बिना वोटिंग के पास कराए जाने की आलोचना की है।

उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “अध्यादेश के ज़रिए बिल पेश किया गया। बिल को बिना विस्तृत चर्चा या राज्यसभा में मत विभाजन या सेलेक्क कमेटी को भेजे बिना ही पास कर दिया गया। आज, विपक्ष की सुनवाई के बिना राज्यसभा ने 9 बिल पास कर दिए। कल ऐसा लेबर बिल के साथ भी हो सकता है”? उन्होंने तंज़ कसते हुए कहा, “लोकतंत्र के मंदिर से लेकर लोकतंत्र के संग्रहालय तक”?

वहीं आम आदमी पार्टी चीफ़ एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी इसपर नाराज़गी जताई।

उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “इतने खतरनाक कानूनों को बिना वोटिंग करवाए संसद से पास घोषित कर दिया? फिर संसद का क्या मतलब, चुनावों का क्या मतलब? अगर इसी तरह कानून पास करवाने हैं तो संसद सत्र क्यों बुलाते हो?”

उन्होंने बिल का विरोध करने वाले सांसदों को निलंबित किए जाने पर भी कड़ा ऐतराज़ जताया और उनकी जमकर सराहना की। उन्होंने लिखा, “यह 8 आठ सांसद, संसद परिसर में गर्मी, मच्छर और अन्य असुविधाओं की परवाह न करते हुए किसानों के हक के लिए लड़ रहे हैं। वे अपने लिए कुछ नहीं मांग रहे। वो जनतंत्र और संविधान के लिए लड़ रहे हैं। वे देश के किसानों के लिए संघर्षरत हैं।”

बता दें कि राज्यसभा में कृषि बिल का विरोध करने पर सभापति वेंकैया नायडू ने 8 सांसदों को निलंबित कर दिया था।

निलंबित किए गए सांसदों में आम आदमी पार्टी के संजय सिंह के अलावा, तृणमूल के डेरेक ओ ब्रायन, कांग्रेस के राजीव सातव, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के ए करीम और केके रागेश, कांग्रेस के सैयद नजीर हुसैन और रिपुन बोरेन तथा तृणमूल की डोला सेन हैं।

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