बिहार में एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (AES) यानि चमकी बुखार से मरने वालों की संख्या 129 पहुँच चुकी है। अब जाकर सीएम नीतीश कुमार ने अस्पताल का दौरा किया है, हालाँकि उन्हें ये दौरा तब करना चाहिए था जब इसकी बिहार के बीमार बच्चों को सबसे ज्यादा ज़रूरत थी।

सीएम नीतीश के आते कई बच्चे अपनी जान गवा चुके हैं, यहां तक कि एक बच्चे की मौत तो उनके सामने हो गई। जब नीतीश कुमार अस्पताल में मरीजों को देखने पहुंचे तो मरीजों के नाराज और आक्रोशित परिजनों ने नीतीश कुमार मुर्दाबाद और वापस जाओ के नारे लगाने शुरू कर दिए।

राजद नेता और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी यादव ने सोशल मीडिया पर इस मामले पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने एक के बाद एक ट्वीट करते हुए लिखा है कि- “क्या 14 वर्ष से राज कर रहे मुख्यमंत्री की हज़ारों बच्चों की मौत पर कोई जवाबदेही नहीं? कहाँ है ग़रीबों के लिए 5 लाख तक के मुफ़्त इलाज की प्रधानमंत्री की आयुष्मान योजना? हम इस नाज़ुक समय में राजनीति नहीं करना चाहते लेकिन ग़रीब बच्चों का समुचित इलाज करना सरकार का धर्म और दायित्व है।

उन्होंने लिखा कि, केंद्र और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री कुतर्क गढ़ रहे हैं। एक कहता है मैं मंत्री हूँ, डॉक्टर नहीं। मरते बच्चे के क़िस्मत का खेल है। और फिर उसी क़िस्मत को लात मार बिस्कुट खाते बेशर्मी से मैच का स्कोर पूछता है। एक प्रेस मीटिंग में ही सो रहे है। लिची को दोषी बताते है। भगवान की आपदा बताते है। यहां राबड़ी का सीधा हमला बिहार के स्वस्थ्य मंत्री मंगल पांडे की ओर था।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, “बिहार में डबल इंजन की सरकार है। इतनी मौतों के बाद अब केंद्र और प्रदेश के मंत्री क्या नृत्य करने चार्टर फ़्लाइट्स से मुज़फ़्फ़रपुर जा रहे है? जब अस्पताल के दवाखानों में दवा की जगह कफ़न रखे है, डॉक्टर नहीं है तो क्यों नहीं बीमार बच्चों को Air-Ambulance से दिल्ली ले जाते?”

अबतक बिहार के मुजफ्फरपुर में सैकड़ों बच्चे चमकी बुखार की चपेट में हैं। मुजफ्फरपुर में इस बुखार से मरने वाले बच्चों की संख्या बढ़कर 130 हो गई है। वहीं अस्पतालों में भर्ती बीमार बच्चों की संख्या 414 बताई जा रही है।

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